लखनऊ के वृंदावन कॉलोनी निवासी विक्रम सिंह यादव को 21 दिसंबर को दोपहर 12:30 बजे एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने अपना नाम हर्षवर्धन बताया और खुद को IRDAI का कर्मचारी बताकर बीमा क्लेम पेंडिंग होने की जानकारी दी। जालसाज ने बताया कि उनका जीवन बीमा पूरा हो चुका है लेकिन एजेंट उस पर 20% कमीशन क्लेम कर रहा है, जिससे भुगतान अटक गया है।
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कॉलर ने खुद को पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बताते हुए कहा कि पेंडिंग क्लेम को मंजूरी दिलाने के लिए उन्हें NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) से संपर्क करना होगा। जालसाज ने इस दौरान एक फर्जी लेटर भी भेजा, जिससे विक्रम को विश्वास हो गया।
फर्जी ब्रांच मैनेजर से कराई बातचीत
शातिर ठगों ने विक्रम से अलग-अलग नंबरों से ब्रांच मैनेजर बनकर कई बार बातचीत करवाई। इसके बाद व्हाट्सएप पर विक्रम से पैन कार्ड, आधार कार्ड और एक पासपोर्ट साइज फोटो की मांग की। दस्तावेज़ साझा करने के बाद जालसाजों ने एजेंट के कोड को हटाने के नाम पर 38,400 रुपये जमा करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह रकम एलआईसी के भुगतान के साथ वापस मिल जाएगी।
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18 दिन में 27 बार ट्रांसफर कराए 27 लाख रुपये
पहली बार पैसे भेजने के बाद जब विक्रम को भुगतान नहीं मिला तो उसने जालसाजों से संपर्क किया। इसके बाद ठगों ने जीएसटी और इनकम टैक्स के नाम पर अलग-अलग बहाने बनाकर 18 दिनों में 27 बार में 27 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।
शिकायत के बाद जांच में जुटी पुलिस
जब काफी इंतजार के बाद भी विक्रम को बीमा क्लेम का पैसा नहीं मिला, तब उन्होंने ठगी का अहसास हुआ और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इंस्पेक्टर साइबर थाना बृजेश यादव ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही जालसाजों को पकड़ लिया जाएगा।
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कैसे बचें ऐसे साइबर फ्रॉड से?
- अनजान कॉल्स पर विश्वास न करें: किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स पर पूरी जांच-पड़ताल करें।
- आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी लें: बीमा संबंधित जानकारी हमेशा IRDAI या संबंधित बीमा कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से ही प्राप्त करें।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: कभी भी फोन, ईमेल या मैसेज के माध्यम से अपना पैन, आधार, बैंक डिटेल्स साझा न करें।
- संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: अगर आपको किसी भी प्रकार की संदेहास्पद गतिविधि दिखे तो तत्काल साइबर पुलिस को सूचित करें।