डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस आशय की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी 676 कर्मचारियों का समायोजन आगामी एक माह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। इससे पूर्व, 1834 कर्मियों का समायोजन किया जा चुका है। उन्होंने निर्देश जारी किए हैं कि जिला स्वास्थ्य समितियां इन कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएं और निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रक्रिया पूरी करें।
कौन हैं ये कर्मचारी
कोविड महामारी के दौरान जब पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरम पर थीं और संसाधनों की भारी कमी थी, तब विभिन्न जिलों में हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों को अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था। इन कर्मियों में लैब असिस्टेंट, स्टाफ नर्स, ऑपरेशन थिएटर टेक्नीशियन, आयुष डॉक्टर, स्वीपर, वार्ड आया, वार्ड बॉय, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, नॉन मेडिकल साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन सहित अन्य तकनीकी व गैर-तकनीकी कर्मचारी शामिल थे।
जब कोविड की स्थिति सामान्य हुई, तब इन कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इसके बाद इन कर्मचारियों ने अपनी नियमित तैनाती की मांग को लेकर कई बार सरकार का ध्यान आकर्षित किया। सरकार ने इस मांग पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए पहले चरण में 1834 कर्मियों को समाहित किया, और अब शेष 676 कर्मियों के लिए भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सभी जिलों को भेजा गया आदेश
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा) की ओर से एक विस्तृत पत्र सभी जिलाधिकारियों, मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) और जिला स्वास्थ्य समिति के सचिवों को भेजा गया है। इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यह समायोजन “केवल उन्हीं कर्मियों” तक सीमित होगा जिन्होंने कोविड काल में कार्य किया था। किसी अन्य नए व्यक्ति को इन पदों पर रखे जाने पर संबंधित अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा और इसे वित्तीय अनियमितता मानते हुए वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
योग्यता के अनुसार कार्य
जिला स्वास्थ्य समितियों को निर्देशित किया गया है कि कार्मिकों को उनकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और उपलब्ध पदों के अनुसार तैनात किया जाए। जहां-जहां “ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट” स्थापित हैं, वहां डाटा एनालिस्ट, लैब असिस्टेंट व अन्य टेक्निकल स्टाफ की जरूरत को देखते हुए प्राथमिकता दी जाए। इसी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित विभिन्न कार्यक्रमों ,जैसे डिस्ट्रिक्ट हेल्थ स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम में भी इन कर्मचारियों को स्थान मिल सकता है। उनके वेतन की गणना उसी दर पर की जाएगी, जिस पर कोविड काल में भुगतान हुआ था। रिक्तियां नहीं तो सूचित करें मंडलीय अपर निदेशक को
पत्र में एक और अहम निर्देश यह भी दिया गया है कि यदि किसी जिले में उपयुक्त पद रिक्त नहीं हैं, तो संबंधित सीएमओ तत्काल अपने मंडलीय अपर निदेशक को सूचित करें ताकि वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी जिले ने ऐसे कर्मियों को समायोजित करने के बजाय बाहरी या अनधिकृत व्यक्ति को नियुक्त किया, तो यह न केवल शासनादेश का उल्लंघन माना जाएगा बल्कि उस पर अनुशासनात्मक एवं वित्तीय कार्रवाई भी की जाएगी।
कर्मियों में उत्साह, राहत की भावना
इस निर्णय से प्रभावित कर्मियों और उनके परिवारों में खासा उत्साह है। कोविड के समय अपनी जान की बाज़ी लगाकर सेवाएं देने वाले इन कर्मियों को लंबे समय से आशा थी कि सरकार उन्हें न्याय देगी। अब जब उन्हें तैनाती का अवसर मिल रहा है, तो वे इसे अपने संघर्ष की जीत मान रहे हैं। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रतिनिधि अनीता यादव ने कहा, “हमने महामारी में जिस समर्पण से काम किया, उसका यह फल अब मिला है। हम सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं।”
राजनीतिक और प्रशासनिक संदेश
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पहल को एक सकारात्मक प्रशासनिक प्रयास माना जा रहा है, जो न केवल कर्मियों को राहत देगा, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त बनाने में मदद करेगा। विशेष रूप से आगामी मानसून और संभावित संक्रामक रोगों के बढ़ते खतरे के बीच ये कर्मी राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती देंगे। यह फैसला यह भी दर्शाता है कि सरकार अपने वादों को लेकर गंभीर है और महामारी में सेवा देने वालों के योगदान को नजरअंदाज नहीं कर रही।