scriptमैं इंदिरा को हराऊंगा! एक सनकी समाजवादी की जिद और इलाहाबाद हाईकोर्ट का वो फैसला जिसने बदल दी भारत की दिशा | Patrika News
लखनऊ

मैं इंदिरा को हराऊंगा! एक सनकी समाजवादी की जिद और इलाहाबाद हाईकोर्ट का वो फैसला जिसने बदल दी भारत की दिशा

1975 Emergency India: 12 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का वो दिन, जब एक हाईकोर्ट के फैसले ने देश की सबसे ताक़तवर नेता इंदिरा गांधी की गद्दी को हिला दिया।

लखनऊJun 25, 2025 / 09:30 am

ओम शर्मा

12 जून 1975: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप में इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। पर ये सिर्फ एक फैसला नहीं था, ये उस ‘सनकी समाजवादी’ राजनारायण की जिद थी, जिसने सत्ता की दीवारों में दरार डाल दी और एक ऐसा सिलसिला शुरू किया जो आपातकाल और अंततः सत्ता परिवर्तन तक पहुंचा।

एक जिद्दी समाजवादी की कहानी

राजनारायण आज़ादी के पहले से ही समाजवादी आंदोलनों के सक्रिय नेता थे। जब 1971 के चुनाव में वे रायबरेली से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ खड़े हुए, तो उन्हें 1 लाख से ज्यादा वोटों से हार मिली। लेकिन उन्होंने हार मानी नहीं।उन्होंने इल्ज़ाम लगाया कि इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया—विशेष रूप से यशपाल कपूर, जो सरकारी कर्मचारी से उनके चुनाव एजेंट बने। सरकारी विमान, गाड़ियाँ, अफसरों का इस्तेमाल किया गया

जज जगमोहनलाल सिन्हा और एक ऐतिहासिक फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस केस की सुनवाई कर रहे थे न्यायमूर्ति जगमोहनलाल सिन्हा। यह केस सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं था, यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की परीक्षा थी। करीब चार साल तक मामला चला। सैकड़ों दस्तावेज, गवाह और बहसों के बाद 12 जून 1975 को जस्टिस सिन्हा ने फैसला सुनाया। इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का अनुचित उपयोग किया। उनका चुनाव अवैध घोषित किया गया। छह साल तक किसी भी निर्वाचित पद के लिए अयोग्य ठहराया गया। यह फैसला आते ही राजनीतिक भूकंप आ गया। कहा जाता है कि जज सिन्हा ने इस फैसले को लिखने के दौरान मीडिया, सरकार और अपने निजी जीवन से खुद को अलग कर लिया था।

जब सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली इंदिरा गांधी को राहत

फैसले से इंदिरा गांधी की वैधता पर सवाल उठ गया था। वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। सुप्रीम कोर्ट में अवकाशकालीन न्यायाधीश कृष्ण अय्यर ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की आंशिक छूट दी, लेकिन साथ में ये भी कहा कि वे लोकसभा में वोट नहीं डाल सकतीं। कोर्ट ने कहा की वे सदन के रजिस्ट्रर पर तो साइन कर सकती है लेकिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकती।
Indira Gandhi election verdict, 1975 Emergency India, Raj Narain vs Indira Gandhi, Allahabad High Court 1975, Justice Jagmohanlal Sinha, Indian democracy history, Emergency declaration 1975, Indira Gandhi disqualified, political crisis India 1975, press censorship India, JP Movement, Rajasthan Patrika archives, Indian political turning points, Emergency 50 years, Indira Gandhi defeat 1977, Raj Narain victory, Indian judiciary independence, historical newspaper headlines India

फैसला बना आपातकाल की नींव

पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी इंदिरा गांधी के चुनाव राहत नहीं दी इस फैसले के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी। विपक्ष सक्रिय हो गया। जेपी आंदोलन को और बल मिला। जनता सड़कों पर उतरने लगी। हालातों को देखते हुए 25 जून 1975 की रात, इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की सहमति से देश में आपातकाल लागू कर दिया । प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। सैकड़ों विपक्षी नेता गिरफ्तार किए गए। संसद और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में आ गई। राजनारायण को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन सबका दस्तावेजी ब्यौरा राजस्थान पत्रिका के संस्करणों में दर्ज है, जिनमें विरोध के स्वर भी साफ सुनाई देते हैं।
Indira Gandhi election verdict, 1975 Emergency India, Raj Narain vs Indira Gandhi, Allahabad High Court 1975, Justice Jagmohanlal Sinha, Indian democracy history, Emergency declaration 1975, Indira Gandhi disqualified, political crisis India 1975, press censorship India, JP Movement, Rajasthan Patrika archives, Indian political turning points, Emergency 50 years, Indira Gandhi defeat 1977, Raj Narain victory, Indian judiciary independence, historical newspaper headlines India
इस खबर की क्लिपिंग आज भी राजस्थान पत्रिका के संग्रहालय में लोकतंत्र की रक्षा की एक मिसाल के तौर पर सुरक्षित है।

जनता का जवाब ,1977 में सत्ता पलटी

आपातकाल के 21 महीने बाद जब चुनाव हुए, तो जनता ने गुस्से में वोट दिया। राजनारायण एक बार फिर रायबरेली से मैदान में उतरे और इस बार इंदिरा गांधी को हराया। राजस्थान पत्रिका ने इसे फ्रंट पेज पर प्रकाशित किया “इंदिरा परास्त, उत्तरी राज्यों में कांग्रेस का सफाया” राजनारायण जनता पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। लेकिन उनका सबसे बड़ा योगदान था एक अदालत की लड़ाई से सत्ता की चूलें हिला देना।
Indira Gandhi election verdict, 1975 Emergency India, Raj Narain vs Indira Gandhi, Allahabad High Court 1975, Justice Jagmohanlal Sinha, Indian democracy history, Emergency declaration 1975, Indira Gandhi disqualified, political crisis India 1975, press censorship India, JP Movement, Rajasthan Patrika archives, Indian political turning points, Emergency 50 years, Indira Gandhi defeat 1977, Raj Narain victory, Indian judiciary independence, historical newspaper headlines India
(राजस्थान पत्रिका, 21 मार्च 1977)

आपातकाल में भी पत्रिका बना रहा लोकतंत्र का प्रहरी

जब पूरा देश सेंसरशिप की गिरफ्त में था, तब भी राजस्थान पत्रिका ने साहसिक पत्रकारिता की मिसाल पेश की। वो ऐतिहासिक फैसले की खबर, आपातकाल के विरोध की आहट और सत्ता परिवर्तन के दिन की जीत-राजस्थान पत्रिका इन तीनों चरणों का गवाह बना। आज जब हम उस फैसले के 50 साल की ओर बढ़ रहे हैं, तो ये जरूरी है कि उस दौर की अखबार की कटिंग्स, उन खबरों की तस्वीरें और पत्रकारिता के साहसिक उदाहरणों को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए।

Hindi News / Lucknow / मैं इंदिरा को हराऊंगा! एक सनकी समाजवादी की जिद और इलाहाबाद हाईकोर्ट का वो फैसला जिसने बदल दी भारत की दिशा

ट्रेंडिंग वीडियो