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लखनऊ

UP Lekhpal Investigation: अब लेखपाल की नहीं चलेगी, नायब तहसीलदार करेंगे राजस्व मामलों की जांच

उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व मामलों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब लेखपाल की रिपोर्ट अंतिम नहीं मानी जाएगी। नायब तहसीलदार शिकायतकर्ता की सुनवाई के बाद जांच करेंगे और अंतिम निर्णय उपजिलाधिकारी स्तर पर लिया जाएगा।

लखनऊJul 05, 2025 / 03:33 pm

Ritesh Singh

Tehsil Level Changes फोटो सोर्स : Patrika

Tehsil Level Changes फोटो सोर्स : Patrika

UP Govt Mandates Nayab Tehsildar for Revenue Disputes: उत्तर प्रदेश में राजस्व संबंधी शिकायतों के समाधान को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब भूमि विवादों, दाखिल-खारिज, सीमांकन, पैमाइश, कब्जा आदि जैसे मामलों में सिर्फ लेखपाल की रिपोर्ट पर निर्णय नहीं होगा। शिकायतकर्ता की सुनवाई के साथ न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में अब जांच की जिम्मेदारी नायब तहसीलदार को सौंपी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन कार्यक्रमों में आ रही शिकायतों और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया है।

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मुख्यमंत्री कार्यालय हुआ सक्रिय, जनता की शिकायतों को मिली प्राथमिकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन में लंबे समय से यह देखने को मिल रहा था कि राजस्व संबंधी मामलों में लेखपाल स्तर की जांच में पारदर्शिता की कमी है। जनता की शिकायतें लगातार यह संकेत दे रही थीं कि कई बार लेखपाल की रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण, अधूरी या तथ्यहीन होती है, जिससे पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस गंभीर समस्या पर ध्यान देते हुए जांच व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है।

अपर मुख्य सचिव राजस्व एस.पी. गोयल का आदेश

अपर मुख्य सचिव (राजस्व)  एस.पी. गोयल द्वारा सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब कोई भी राजस्व मामला, चाहे वह व्यक्तिगत भूमि विवाद हो या सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित समस्या, लेखपाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर निपटाया नहीं जाएगा।
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अब नायब तहसीलदार होंगे जांच अधिकारी

नए निर्देशों के अनुसार, अब कोई भी राजस्व विवाद, शिकायत या अतिक्रमण की रिपोर्ट नायब तहसीलदार तैयार करेंगे। वे न केवल तथ्यों की पड़ताल करेंगे, बल्कि शिकायतकर्ता और अन्य संबंधित पक्षों को सुनने के बाद ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इससे दोहराव, पक्षपात और रूटीन जांच जैसी समस्याओं में कमी आएगी और जनता को निष्पक्ष न्याय मिलेगा।

उपजिलाधिकारी (SDM) करेंगे अंतिम निर्णय

राजस्व विवादों का अंतिम निर्णय अब उपजिलाधिकारी स्तर पर लिया जाएगा। एसडीएम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे नायब तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को गंभीरता से अध्ययन कर निष्पक्ष और संतुलित निर्णय लें।

इससे क्या बदलेगा

  • लेखपाल की एकतरफा रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होगी
  • हर शिकायतकर्ता को सुनने का अवसर मिलेगा
  • जांच अधिकारी की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ेगी
  • राजस्व विवादों का समाधान तेज, पारदर्शी और न्यायोचित तरीके से होगा
  • जमीन संबंधी फर्जीवाड़ा, कब्जा, मनमानी रिपोर्टिंग और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी

जनहित में है यह निर्णय

यह निर्णय न केवल प्रशासनिक सुधार है, बल्कि न्याय व्यवस्था में आमजन की भागीदारी और विश्वास बहाली की दिशा में भी बड़ा कदम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अक्सर राजस्व विवाद जमीन पर कब्जे, पैमाइश या बंटवारे को लेकर होते हैं, वहां लेखपाल की रिपोर्ट को ही अंतिम मान लिया जाता था। अब यह व्यवस्था बदलने से पीड़ित पक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।

क्यों जरूरी हो गया था यह बदलाव

जनता दर्शन में शिकायतों की भरमार: मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भूमि विवादों से संबंधित शिकायतें आती हैं। पक्षपात के आरोप: कई बार लेखपालों पर आरोप लगता रहा है कि वे प्रभावशाली पक्ष के पक्ष में रिपोर्ट बना देते हैं। फील्ड में शिकायतकर्ता को मौका न देना: शिकायतों की जांच में शिकायतकर्ता से संवाद किए बिना ही निर्णय लिए जा रहे थे। यह फैसला न केवल आम जनता को राहत देने वाला है, बल्कि प्रशासनिक हलकों में भी इसका स्वागत किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इससे निचले स्तर पर भ्रष्टाचार, फर्जी रिपोर्टिंग और पारदर्शिता की कमी पर प्रभावी नियंत्रण होगा।
बलिया के एक एसडीएम ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “अब लेखपालों को जवाबदेह बनना ही पड़ेगा। जांच अधिकारी बदलने से रिपोर्ट की गुणवत्ता बेहतर होगी। जो भी शिकायतकर्ता होगा, उसे सुनना अब अनिवार्य हो गया है।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार का जोर “डिजिटल राजस्व न्याय प्रणाली” पर भी है। यह नई व्यवस्था डिजिटल रिकॉर्डिंग और ऑडिट ट्रेल को बल देगी, जिससे आने वाले समय में शिकायतों की ट्रैकिंग और निष्पादन भी पारदर्शी बनेगा।

यह निर्णय किसे प्रभावित करेगा

  • सभी जिलों के लेखपाल और राजस्व निरीक्षक
  • नायब तहसीलदार और तहसील प्रशासन
  • एसडीएम और डीएम स्तर के अधिकारी
  • भूमि विवादों से जूझ रहे आम नागरिक
  • गांवों और कस्बों के छोटे किसान, ग्रामीण परिवार

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