योगी आदित्यनाथ की कुर्सी सुरक्षित नहीं – पवन खेड़ा का बड़ा दावा
पवन खेड़ा ने सबसे बड़ा राजनीतिक तीर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर चलाया। उन्होंने कहा, “बीजेपी अपने संगठनात्मक ढांचे में इतनी उलझ गई है कि अब अपने ही अध्यक्ष का चयन नहीं कर पा रही। यही नहीं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुर्सी भी अब सुरक्षित नहीं मानी जा रही।” उन्होंने दावा किया कि भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री योगी को लेकर गंभीर अंदरूनी मतभेद चल रहे हैं और पार्टी नेतृत्व उनके नाम पर एकमत नहीं रह गया है।
बीजेपी का संगठन नेतृत्वविहीन हो चुका है – पवन खेड़ा का तंज
भाजपा की वर्तमान स्थिति पर हमला बोलते हुए खेड़ा ने कहा, “पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा जिसे सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सके। संगठन नेतृत्वविहीन हो चुका है और शीर्ष पदों को लेकर गहरी खींचतान है।” उन्होंने इस बात को भाजपा की गिरती राजनीतिक सेहत का संकेत बताया।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी उठाए सवाल
पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा, “आज जब कांग्रेस चुनाव आयोग से सवाल करती है तो जवाब बीजेपी देती है, और जब बीजेपी से सवाल करते हैं तो जवाब चुनाव आयोग देता है।” उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक बताया और कहा कि जनता अब इस खेल को समझने लगी है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “अब ‘मोटा भाई’ और ‘छोटा भाई’ का भय खत्म हो रहा है। देश की जनता अब डरने वाली नहीं है, बल्कि जवाब मांगने लगी है।”
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को बताया ‘रहस्यमयी’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे पर भी पवन खेड़ा ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा हो और ठीक उसी वक्त उपराष्ट्रपति का इस्तीफा सामने आए, तो सवाल उठना लाजिमी है। क्या यह सिर्फ संयोग है या कोई सोची-समझी साजिश?” उन्होंने मांग की कि उपराष्ट्रपति को खुद सामने आकर अपने इस्तीफे की असली वजह स्पष्ट करनी चाहिए।
मोदी की विदेश नीति पर भी साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर टिप्पणी करते हुए खेड़ा ने कहा, “प्रधानमंत्री चीन और अमेरिका से कठिन सवालों से कतराते हैं। वे विदेश दौरों के ज़रिए जनता का ध्यान घरेलू मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं।”
राजनीतिक तूफान का संकेत?
पवन खेड़ा के इस तीखे बयान ने देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस जहां मोदी सरकार को घेरेने की रणनीति में आक्रामक हो रही है, वहीं भाजपा खेड़ा के दावों को ‘झूठ और भ्रम’ बता रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या पवन खेड़ा के इस बयान के बाद भाजपा कोई प्रतिक्रिया देती है या फिर इस बयान को नज़रअंदाज़ करती है। लेकिन एक बात साफ है – आगामी चुनावों से पहले देश की राजनीति में बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज़ होने वाला है।