Ration Verification Scheme: चेहरे’ से होगी पहचान, ‘मोबाइल’ से पुष्टि – पारदर्शी राशन वितरण की ओर यूपी
Ration Take Home UP Government Scheme: उत्तर प्रदेश सरकार ने टेक-होम राशन योजना को पारदर्शी और लक्ष्य केंद्रित बनाने के लिए फेस रिकग्निशन सिस्टम और ओटीपी आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली लागू की है। जुलाई 2025 तक पूरे राज्य में एफआरएस को अनिवार्य किया जाएगा। यह कदम कुपोषण के खिलाफ तकनीक आधारित निर्णायक पहल साबित होगा।
उत्तर प्रदेश में टेक-होम राशन योजना के लिए OTP और फेस रिकग्निशन अनिवार्य फोटो सोर्स : Social Media
Ration Verification Scheme Take-Home Ration Distribution: उत्तर प्रदेश सरकार ने कुपोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई को और अधिक सशक्त बनाते हुए एक अहम तकनीकी कदम उठाया है। अब राज्यभर में ‘टेक-होम राशन’ (टीएचआर) योजना के लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन के लिए फेस रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस) और वन टाइम पासवर्ड (OTP) प्रणाली को अनिवार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जुलाई 2025 तक राज्य में शत-प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य तय किया गया है।
पोषण ट्रैकर में एकीकृत की गई यह दो-स्तरीय प्रमाणीकरण प्रणाली,फेस रिकग्निशन और ओटीपी, यह सुनिश्चित करेगी कि लाभार्थी को उसका हक पूरी पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ मिले। यह पहल गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोरों और छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए चलाई जा रही टेक-होम राशन योजना के अंतर्गत लागू की जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि पोषण से संबंधित योजनाओं में डिजिटल ट्रैकिंग, लाभार्थी की पहचान की पुष्टि और वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए, जिससे फर्जीवाड़ा, दोहराव और गड़बड़ी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम
पोषण ट्रैकर प्लेटफॉर्म में लाभार्थी का फेस डेटा (चेहरे की पहचान) उसके आधार से जुड़े ई-केवाईसी के जरिए वेरीफाई किया जाएगा। इसके बाद एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) लाभार्थी के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, जिसे आंगनवाड़ी केंद्र में उपस्थित कार्यकर्ता सत्यापित करेंगी।
इस दो-स्तरीय प्रणाली में पहले चरण में आधार आधारित पहचान और दूसरे चरण में मोबाइल सत्यापन शामिल है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राशन सही व्यक्ति को ही दिया जाए। यह प्रक्रिया रियल टाइम डिजिटल रिकॉर्डिंग को भी सक्षम बनाएगी, जिससे डेटा की निगरानी और विश्लेषण आसान हो सकेगा।
एफआरएस का रोडमैप
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार जुलाई 2025 तक पूरे प्रदेश में एफआरएस प्रणाली को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए एक राज्यव्यापी जागरूकता और पंजीकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लाभार्थियों को एफआरएस प्रणाली के प्रति जागरूक किया जा रहा है और उनका पंजीकरण किया जा रहा है। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, योजना का पायलट प्रोजेक्ट अगस्त 2024 में कानपुर नगर के बिधनू और सरसौल परियोजनाओं में प्रारंभ किया गया था, जो सफल रहा। इसके बाद योजना का विस्तार पूरे राज्य में किया जा रहा है।
अब तक की प्रगति: 1.18 करोड़ लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूर्ण
13 जून 2025 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 1.18 करोड़ पात्र लाभार्थियों का ई-केवाईसी किया जा चुका है। यह संख्या योजना के सफल क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले एक माह के भीतर शेष लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूरा कर लिया जाए ताकि 1 जुलाई से पूर्ण एफआरएस कवरेज सुनिश्चित हो सके।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे पोषण अभियान के अंतर्गत यह प्रणाली एक क्रांतिकारी परिवर्तन मानी जा रही है। यह न केवल सरकारी योजनाओं में तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से डिजिटल इंडिया के सपने को साकार कर रही है, बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं एवं बच्चों को सशक्त बना रही है।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले लाभार्थियों को अब उनकी पहचान के लिए कागजी दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उनका चेहरा ही उनकी पहचान बनेगा। साथ ही, पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से सत्यापन की प्रक्रिया उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त भी बनाएगी।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि कुछ ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की चुनौतियां सामने आ सकती हैं, परंतु इसके समाधान के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही, फील्ड स्तर पर तकनीकी सहायता दल भी नियुक्त किए गए हैं जो किसी भी प्रकार की समस्या के त्वरित समाधान में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त, जिन लाभार्थियों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं या ई-केवाईसी नहीं हो सका है, उनके लिए विशेष कैंप आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि कोई भी लाभार्थी योजना से वंचित न रह जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। टेक्नोलॉजी के जरिए योजनाओं को पारदर्शी बनाना और जनहित तक सीधी पहुँच सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एफआरएस प्रणाली का समयबद्ध क्रियान्वयन, डेटा अपडेशन और निरंतर निगरानी सुनिश्चित की जाए।
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