छोटे भूखंडों पर निर्माण करने वालों के लिए भी बड़ी राहत है। 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर अब नक्शा पास कराने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। इन भूखंडों पर निर्माण के लिए केवल विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा। इसके अलावा, स्वीकृत ले-आउट क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों के लिए ऑनलाइन दाखिल नक्शे को स्वतः स्वीकृत माना जाएगा, बशर्ते सभी शुल्क और प्रमाण-पत्र जमा हों। 300 वर्ग मीटर तक के एकल आवासीय भवनों के नक्शे भी स्वतः अनुमोदित हो जाएंगे।
ऊंची इमारतों और शॉपिंग मॉल के लिए नए द्वार
यह नीति ऊंची इमारतों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करती है। 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की सीमा को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे बिल्डरों के लिए ऊंची इमारतें बनाना आसान होगा। छोटे और मध्यम भूखंडों के लिए भी एफएआर बढ़ाया गया है। 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर अब शॉपिंग मॉल का निर्माण संभव होगा, जबकि 7 मीटर चौड़ी सड़कों पर उद्योग और हेरिटेज होटल तथा 9 मीटर चौड़ी सड़कों पर बिना शैय्या वाले चिकित्सा प्रतिष्ठान और प्राथमिक विद्यालय बनाए जा सकेंगे।
पेशेवरों और पार्किंग के लिए विशेष प्रावधान
पेशेवरों जैसे आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सक और अधिवक्ता अब अपने घर के 25% हिस्से को कार्यालय के रूप में उपयोग कर सकेंगे, बशर्ते पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो। इसके लिए अलग से नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी। नर्सरी, क्रैच और होमस्टे के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है। पार्किंग की समस्या के समाधान के लिए पोडियम पार्किंग और मैकेनाइज्ड ट्रिपल-स्टैक पार्किंग को मंजूरी दी गई है। 4000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों के लिए अलग से पार्किंग ब्लॉक बनाना अनिवार्य होगा। चिकित्सालयों और स्कूलों के लिए भी क्रमशः एम्बुलेंस पार्किंग और बस पार्किंग व पिक-एंड-ड्रॉप जोन की व्यवस्था की गई है। ग्रुप हाउसिंग के लिए न्यूनतम भूखंड क्षेत्र को भी कम किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर दिया कि यह नीति शहरीकरण को गति देने, निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने और रोजगार सृजन व आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी। यह उत्तर प्रदेश को देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
यूपी सरकार का बड़ा फैसला, अब शहरों में मकान में बना सकेंगे दुकान, छोटे प्लाटों पर नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहरी विकास को एक नई दिशा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश के शहरों में आवासीय और व्यावसायिक निर्माण के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिससे शहरीकरण को गति मिलेगी और नागरिकों व कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी।
सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां तथा आदर्श जोनिंग रेगुलेशन्स-2025’ लागू की है, जिसने पुरानी उपविधि-2008 की जगह ली है। इस नई नीति के तहत, 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 24 मीटर और छोटे शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर आवासीय भवनों के साथ दुकानें बनाने की अनुमति होगी। यह कदम मिश्रित भू-उपयोग को बढ़ावा देगा, जिससे एक ही जगह पर रहने और काम करने की सुविधा मिलेगी।
छोटे भूखंडों पर निर्माण करने वालों के लिए भी बड़ी राहत है। 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर अब नक्शा पास कराने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। इन भूखंडों पर निर्माण के लिए केवल विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा। इसके अलावा, स्वीकृत ले-आउट क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों के लिए ऑनलाइन दाखिल नक्शे को स्वतः स्वीकृत माना जाएगा, बशर्ते सभी शुल्क और प्रमाण-पत्र जमा हों। 300 वर्ग मीटर तक के एकल आवासीय भवनों के नक्शे भी स्वतः अनुमोदित हो जाएंगे।
ऊंची इमारतों और शॉपिंग मॉल के लिए नए द्वार
यह नीति ऊंची इमारतों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करती है। 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की सीमा को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे बिल्डरों के लिए ऊंची इमारतें बनाना आसान होगा। छोटे और मध्यम भूखंडों के लिए भी एफएआर बढ़ाया गया है। 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर अब शॉपिंग मॉल का निर्माण संभव होगा, जबकि 7 मीटर चौड़ी सड़कों पर उद्योग और हेरिटेज होटल तथा 9 मीटर चौड़ी सड़कों पर बिना शैय्या वाले चिकित्सा प्रतिष्ठान और प्राथमिक विद्यालय बनाए जा सकेंगे।
पेशेवरों और पार्किंग के लिए विशेष प्रावधान
पेशेवरों जैसे आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सक और अधिवक्ता अब अपने घर के 25% हिस्से को कार्यालय के रूप में उपयोग कर सकेंगे, बशर्ते पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो। इसके लिए अलग से नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी। नर्सरी, क्रैच और होमस्टे के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है। पार्किंग की समस्या के समाधान के लिए पोडियम पार्किंग और मैकेनाइज्ड ट्रिपल-स्टैक पार्किंग को मंजूरी दी गई है। 4000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों के लिए अलग से पार्किंग ब्लॉक बनाना अनिवार्य होगा। चिकित्सालयों और स्कूलों के लिए भी क्रमशः एम्बुलेंस पार्किंग और बस पार्किंग व पिक-एंड-ड्रॉप जोन की व्यवस्था की गई है। ग्रुप हाउसिंग के लिए न्यूनतम भूखंड क्षेत्र को भी कम किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर दिया कि यह नीति शहरीकरण को गति देने, निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने और रोजगार सृजन व आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी। यह उत्तर प्रदेश को देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।