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चिप्स और पापड़ की बढ़ती मांग: कीमतों में वृद्धि का प्रमुख कारण
होली के अवसर पर घर-घर में चिप्स और पापड़ बनाने की परंपरा है, जिसके लिए आलू की मांग बढ़ जाती है। इस वर्ष, रमजान का महीना भी होली के आसपास है, जिससे आलू की खपत में और वृद्धि हुई है। इस बढ़ती मांग के कारण आलू की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है।
अन्य सब्जियों की कीमतों में भी वृद्धि
आलू के साथ-साथ अन्य सब्जियों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। भिंडी 80 से 90 रुपये प्रति किलो, बैंगन 60 से 70 रुपये प्रति किलो, और बीन्स 60 से 70 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं। प्याज की कीमतों में भी वृद्धि हो रही है, जिससे आम जनता को अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ रहा है।पुलिस कर्मियों के तबादले जल्द, 20 अप्रैल तक मांगे गए नामांकन,इस बार होगा खास
थोक और फुटकर कीमतों में अंतर
लखनऊ की दुबग्गा मंडी में आलू की थोक कीमत 15 रुपये प्रति किलो है, जबकि फुटकर बाजार में यह 25 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। किसानों को आलू के लिए अभी भी 10 रुपये प्रति किलो तक ही मिल रहा है, जिससे थोक और फुटकर कीमतों में अंतर स्पष्ट होता है।
लहसुन की कीमतों में गिरावट
जहां एक ओर सब्जियों की कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है, वहीं लहसुन की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। एक माह पहले तक लहसुन की कीमत 500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी, लेकिन नई फसल आने के बाद थोक में लहसुन के भाव 60 रुपये प्रति किलो तक आ गए हैं। फुटकर बाजार में लहसुन अभी भी 100 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है।उपभोक्ताओं पर प्रभाव
आलू और अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ताओं के बजट पर असर पड़ा है। त्योहारों के मौसम में सब्जियों की बढ़ती कीमतें घरेलू खर्च को बढ़ा रही हैं, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।उत्तर प्रदेश में सोने के दामों में उछाल: काशी, मथुरा, अयोध्या में 87,000 रुपये के पार
सरकार और व्यापारियों की भूमिकाबढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार और व्यापारियों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके और त्योहारों का आनंद बाधित न हो।
