डिजिटल निगरानी से अनुशासन की ओर
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जानकारी दी कि अब राज्य के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों को प्रतिदिन छात्रों की हाजिरी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इस पहल के पीछे सरकार की मंशा यह है कि स्कूलों में छात्रों की वास्तविक उपस्थिति दर्ज हो, और समय से न आने वाले अथवा लगातार अनुपस्थित छात्रों पर समय रहते कार्रवाई की जा सके। ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि किस स्कूल में कितने छात्र वास्तव में पढ़ाई कर रहे हैं और किस हद तक ‘फर्जी एडमिशन’ के ज़रिए संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
क्या है नई व्यवस्था
- यह आदेश 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।
- कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए अनिवार्य रूप से डिजिटल हाजिरी लगेगी।
- स्कूलों को बोर्ड द्वारा निर्धारित पोर्टल या मोबाइल ऐप पर उपस्थिति दर्ज करनी होगी।
- देरी से आने वाले या अनुपस्थित छात्रों की सूची शासन स्तर पर स्वतः अपडेट होती रहेगी।
- इससे छात्रों की शैक्षणिक उपस्थिति का विस्तृत रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध रहेगा।
सरकार का उद्देश्य
- पारदर्शिता लाना: इससे शिक्षा विभाग को वास्तविक छात्रों की संख्या और उनकी उपस्थिति की पूरी जानकारी समय पर उपलब्ध होगी।
- फर्जी प्रवेश पर रोक: कई विद्यालयों में केवल कागजी रूप से दाखिला दिखाकर सरकारी सुविधाओं का लाभ लिया जाता है, इस पर अंकुश लगेगा।
- नियमितता बढ़ाना: छात्रों को नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जाएगा। लंबे समय तक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों पर कार्रवाई की जाएगी।
- सटीक आँकड़ों की उपलब्धता: राज्य स्तर पर किसी भी समय किसी भी जिले या विद्यालय की उपस्थिति रिपोर्ट प्राप्त की जा सकेगी।
विद्यालयों को किया गया सूचित
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को आदेश जारी कर विद्यालयों को इस नई प्रणाली से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक विद्यालय को यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे अपने पोर्टल पर प्रतिदिन छात्रों की उपस्थिति दर्ज कर सकें। शिक्षकों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके अलावा, तकनीकी सहायता हेतु हर जिले में हेल्पलाइन और सपोर्ट सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे।
समय पर रिपोर्ट न भेजने पर कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई विद्यालय निर्धारित समय सीमा में छात्रों की उपस्थिति रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड नहीं करता, तो उस पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर मान्यता रद्द करने या सरकारी सुविधाएं रोकने जैसी कार्रवाई भी की जा सकती है। परिषद अब इस प्रणाली को मोबाइल ऐप से भी जोड़ने की तैयारी कर रही है, जिससे शिक्षक अपने स्मार्टफोन से ही उपस्थिति अपडेट कर सकें। जल्द ही यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा, जिसे शिक्षक और प्रधानाचार्य आसानी से डाउनलोड कर सकेंगे। छात्रों के लिए यह योजना अनुशासन में रहने, समय पर विद्यालय आने और पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने के लिए सहायक होगी। वहीं, अभिभावकों को भी SMS या ऐप नोटिफिकेशन के ज़रिए बच्चों की उपस्थिति की जानकारी मिल सकेगी।
शिक्षकों और प्रबंधकों की प्रतिक्रिया
राज्य के कई शिक्षकों और विद्यालय प्रबंधकों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। लखनऊ के एक प्रधानाचार्य मीनाक्षी वर्मा कहती हैं, “यह कदम छात्रों की शैक्षणिक गंभीरता बढ़ाएगा और स्कूलों में पारदर्शिता भी आएगी। पहले हमें भी सही आँकड़े उपलब्ध नहीं होते थे, अब सारी जानकारी रियल टाइम में होगी।”हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती हो सकती है। सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में विशेष व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी। इससे न केवल छात्रों की शैक्षणिक उपस्थिति सुनिश्चित होगी, बल्कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी रोका जा सकेगा। यह कदम “डिजिटल