सूचना के आधार पर कार्रवाई: 15 मई 2025 को STF को सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति मिलकर अवैध रूप से फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेशन का कार्य कर रहे हैं। जांच में यह पुष्टि हुई कि यह कार्य एक संगठित गिरोह द्वारा किया जा रहा है, जिसके तार दिल्ली, मुंबई और अन्य राज्यों से जुड़े हैं। इसी कड़ी में एसटीएफ साइबर सेल ने 18 जून को चित्रकूट में छापेमारी कर मुख्य आरोपी संदीप पांडेय को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी और पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे: पुलिस अधीक्षक STF विशाल विक्रम सिंह के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई में आरोपी संदीप से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुईं। संदीप ने बताया कि वह वर्ष 2017 में लातूर, महाराष्ट्र में आईडिया कंपनी का रिटेलर था। वहीं उसकी मुलाकात गिरोह के सरगना शिवदयाल से हुई। शिवदयाल ने संदीप को यह अवैध कारोबार शुरू करने के लिए तैयार किया और उसे तकनीकी ट्रेनिंग दी।
शिवदयाल मुंबई में रहकर गिरोह का संचालन करता है और सिम कार्ड के फर्जी एक्टिवेशन में माहिर है। गिरोह के पास हजारों असली लोगों की आईडी, फोटो और अन्य पहचान दस्तावेजों का डाटाबेस है, जिनका इस्तेमाल फर्जी ग्राहकों के नाम पर सिम एक्टिवेट करने के लिए किया जाता था।
तकनीकी धांधली का खुलासा: गिरोह मोबाइल कंपनियों की नीति का फायदा उठाकर एक ही व्यक्ति के नाम पर कई सिम कार्ड एक्टिवेट करवा लेते थे। इसके लिए पीओएस रजिस्टर्ड डिवाइसेस और बायोमेट्रिक सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जाता था। एक्टिवेटेड सिम को फिर 250 से 300 रुपये प्रति सिम के हिसाब से साइबर अपराधियों को बेच दिया जाता था। दिल्ली, मुंबई, सूरत जैसे शहरों में इन सिम की काफी मांग थी, क्योंकि उनका उपयोग ठगी, फ्रॉड कॉल, ओटीपी हैकिंग, फर्जी बैंक ट्रांजेक्शन आदि में किया जाता था।
10,000 से अधिक सिम कार्ड बेचने का खुलासा: एसटीएफ को पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह ने पिछले 2-3 वर्षों में 10,000 से ज्यादा सिम कार्ड इस अवैध तरीके से एक्टिवेट कर बेचे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधों में प्रयुक्त सिम का एक बड़ा हिस्सा इस गिरोह द्वारा सप्लाई किया जा रहा था।
गिरोह की नेटवर्किंग और कार्यप्रणाली: गिरोह के सदस्य अलग-अलग राज्यों में रहकर एक संगठित तरीके से काम करते थे। दिल्ली और मुंबई में सदस्य विदेशी मोबाइल हैंडसेट्स का उपयोग कर नेटवर्क की पहचान छिपाते थे। ग्राहक के रूप में फर्जी दस्तावेजों पर एक्टिवेशन होता था।
एसटीएफ के अनुसार गिरोह की नेटवर्किंग इतनी मजबूत थी कि मोबाइल कंपनियों के प्रतिनिधि भी इनके झांसे में आ जाते थे और बिना दस्तावेज की जांच किए सिम एक्टिवेट कर देते थे। यह गिरोह डिजिटल धोखाधड़ी के लिए एक मजबूत आधार उपलब्ध कराता था।
फॉरेंसिक जांच और आगे की कार्रवाई: एसटीएफ द्वारा बरामद मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक उपकरण, सिम कार्ड रजिस्टर और अन्य डिजिटल डिवाइसेस को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। इनसे गिरोह की गतिविधियों, लेन-देन, सिम की संख्या और स्थान की सटीक जानकारी प्राप्त की जाएगी। साथ ही, शिवदयाल और गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए टीमें दिल्ली, मुंबई और अन्य संभावित ठिकानों पर दबिश देने की तैयारी कर रही हैं।
कानूनी कार्रवाई: गिरफ्तार अभियुक्त के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें आईटी एक्ट, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज निर्माण, जालसाजी, साइबर क्राइम और आपराधिक साजिश की धाराएं शामिल हैं। आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
सार्वजनिक चेतावनी और अपील: एसटीएफ ने आम जनता से अपील की है कि वे अपने पहचान पत्र, फोटो और आधार कार्ड की कॉपी को अनावश्यक रूप से न दें। ऐसे दस्तावेज साइबर अपराधियों के हाथ लगने पर फर्जी सिम एक्टिवेशन का खतरा होता है। मोबाइल रिटेलर्स को भी चेतावनी दी गई है कि वे बिना सही जांच के सिम एक्टिवेशन न करें।