ब्राह्मण या ओबीसी कौन सा कार्ड खेलेगी बीजेपी ?
इस बार बीजेपी ने 20 जिलों में ब्राह्मण जिलाध्यक्ष बनाए हैं, जो अन्य किसी भी जाति से ज्यादा हैं। यह संकेत देता है कि भाजपा ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी ब्राह्मण चेहरे को बैठा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो महेंद्रनाथ पांडेय, दिनेश शर्मा जैसे नाम प्रमुखता से चर्चा में आ सकते हैं। संभावित जातीय समीकरण की बात की जाए तो अगले चुनाव में ठाकुर-ब्राह्मण गठजोड़ और ओबीसी वोट बैंक महत्वपूर्ण होता है। पार्टी ने राजस्थान में भी ऐसा ही प्रयोग किया था। वहां ठाकुर-ब्राह्मण गठजोड़ (सीएम और डिप्टी सीएम) के बाद प्रदेश अध्यक्ष के लिए ओबीसी को प्राथमिकता दी थी।
ठाकुर और ओबीसी समीकरण पर भी नजर
इस सूची में बीजेपी ने 10 जिलों में ठाकुर नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है। योगी आदित्यनाथ खुद ठाकुर जाति से आते हैं, जिससे यह समुदाय भाजपा के कोर वोटर्स में गिना जाता है। ठाकुर नेता के रूप में भाजपा के पास स्वतंत्र देव सिंह और अन्य कई विकल्प हो सकते हैं। ओबीसी से 25 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति यह दिखाती है कि भाजपा इस वर्ग को भी साधने के मूड में है। केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी जैसे नेताओं की मौजूदगी यह दर्शाती है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी ओबीसी चेहरे को भी प्राथमिकता दे सकती है।
अध्यक्ष की भूमिक और जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा राज्य है और लोकसभा की 80 सीटें यहीं से आती हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में यह पद अहम भूमिका निभाएगा। ऐसे में उम्मीदवारों की चयन और टिकट वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।