शिक्षा विभाग में एक और घोटाला, स्कूलों में बिजली फिटिंग के नाम पर किया फर्जीवाड़ा
– जिले के 182 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के लिए थे शासन से आए 36.40 लाख रुपए, शिकायत मिलने पर जांच समिति गठित
– पूर्व में 132 स्कूलों की मरम्मत के नाम पर 3.96 करोड़ और डीइओ कार्यालय में सामग्री सप्लाई के नाम पर 24 लाख का फर्जीवाड़ा किया जा चुका है, जिनकी जांच चल रही हैं।
– इस बार प्रति स्कूल बिजली फिटिंग को आए 20 हजार, प्रभारी को बिना बताए निकाली राशि
मुरैना. शिक्षा विभाग में एक और घोटाला सामने आया है। इससे पहले डीइओ कार्यालय में 24 लाख की सामग्री और 132 स्कूलों की मरम्मत के नाम पर 3.96 करोड़ का घोटाला हो चुका है। इस बार जिले के 182 हाईस्कूल व हायरसेकेंडरी स्कूलों में बिजली फिटिंग के नाम पर आए 36 लाख 40 हजार रुपए का बंदरबांट किया जा चुका है। अधिकांश स्कूलों का विकास खंड शिक्षा अधिकारियों ने संस्था प्रभारियों को बिना बताए ही बिल पास कर लिया। नियमानुसार सामग्री खरीद नहीं की गई है। इसको लेकर जांच शुरू हो चुकी है।
जिले में संचालित 182 हाईकूल व हायरसेकेंडरी स्कूलों के लिए 36.40 लाख रुपए की राशि शासन से जारी की थी। इसमें से प्रति स्कूल 20-20 हजार रुपए के हिसाब से राशि समस्त विकासखंड शिक्षा अधिकारियोंं के खाते में भेजे गए थे। शासन ने राशि तो जारी कर दी है लेकिन सवाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के कुछ स्कूल ऐसे हैं कि जहां बिजली के कनेक्शन तक नहीं हैं और कुछ स्कूलों के पास खुद की बिल्डिंग नहीं हैं। कुछ ऐसे हैं जिनकी नई बिल्डिंग बनी हैं, वहां पहले से ही बेहतर तरीके से लाइट फिटिंग है, उसके बाद भी राशि खर्च कर दी गई है। पूरे जिले में बिजली सामग्री के नाम पर अधिकांश स्कूलों में गड़बड़झाला हुआ है लेकिन सबसे ज्यादा शिकायत पहाडगढ़़ विकासखंड की सामने आ रही हैं।
ये होना था सर्वप्रथम विकास खंड शिक्षा अधिकारी को संस्था प्रभारियों को पत्र लिखकर डिमांड नोट लेना था। उसके बाद शाला विकास समिति की बैठक में यह तय करना था कि स्कूल में क्या- क्या सामान खरीदना हैं। उसके बाद बीइओ संबंधित फर्म से कुटेशन मंगाते और सामान खरीद के बाद फिटिंग हुई है कि नहीं, इसका टीम से भौतिक सत्यापन कराना था, उसकी टीप के बाद फर्म के खाते में भुगतान होना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ये हुआ है जिन फर्मों के बिल स्कूलों के नाम से काटे गए हैं, उनमें समरूपता है। पहाडगढ़़ विकासखंड के स्कूलों के नाम सांईं इंटरप्राइजेज टंकी के पास सुभाष नगर मुरैना के नाम से जो बिल काटे गए हैं, सभी बिलों में सामान व रेट एक जैसी है। सभी स्कूलों में 19999 रुपए का बिल बनाया गया है। फर्म संचालक से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कोई जानकारी देने की बजाय फोन कट कर दिया। एक भी बिल पर फर्म संचालक के हस्ताक्षर नहीं हैं। क्या बोले प्राचार्य
स्कूल के लिए बिजली की सामग्री अभी आई नहीं हैं, आने को है। बीइओ साहब को ही पता है, उन्होंने ही बिल लगाए हैं, उनसे ही बात कर लो। गिरीश थापक, प्राचार्य, शाउमावि, कन्हार
बिजली का सामान दुकान से ही खरीदा होगा। जो भी हुआ होगा, वह नियम से ही होगा। क्या हमारे ही थोड़े हुआ है, वह तो पूरे जिले में ही हुआ है। मुरारीलाल पवैया, प्राचार्य, शा सीएम राइज व एक्सीलेंस उमावि, पहाडगढ़़
बीइओ कार्यालय से न तो हमारी संस्था से मांग पत्र लिया है और न ही बिजली सामग्री खरीद की कोई जानकारी दी गई है। ब्रजेश शर्मा, प्राचार्य, शासकीय हाईस्कूल, सुजानगढ़ी पहाडगढ़़ बीइओ रामौतार सिकरवार से सीधी बात पत्रिका: बिजली सामग्री क्रय करने का नियम क्या था। बीइओ: संस्था प्रभारियों से मांग पत्र लेना था, उनसे ही फर्म का नाम लेना था। पत्रिका: कुछ प्राचार्यों का कहना हैं कि बिजली सामग्री के भुगतान हुआ कि नहीं, बीइओ साहब जानें। बीइओ: मुझे बताए कौन सा प्राचार्य कह रहा है, मैंने सभी से मांग पत्र लिया है। पत्रिका: छोले का पुरा स्कूल के बिल में सिर्फ प्राचार्य की सील लगी है, स्कूल का नाम नही हैं। बीइओ: मेरे पास बीइओ के साथ छोले का पुरा स्कूल का भी प्रभार है, उसका बिल मैंने ही काटा है। पत्रिका: बिना भौतिक सत्यापन के भुगतान की शिकायत सामने आ रही हैं। बीइओ: असल में क्या है कि 31 दिसंबर अंतिम तारीख थी, सचिव महोदय का स्पष्ट कहना था कि जल्दी से खाते में राशि डालें। कथन
बिजली सामग्री खरीद में शिकायत मिली है, हमने जिला शिक्षा अधिकारी मुरैना से प्रतिवेदन मांगा है, अगर गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई की जाएगी। एल एन सुमन, संयुक्त संचालक, वित्त व लेखा विभाग, ग्वालियर
सामग्री खरीद में शिकायत मिलने पर जांच समिति बनाई है। मैं स्वयं स्कूलों पहुंचकर जांच कर रहा हूं। एस के सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना
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