- क्या था क्लीनिक का उद्देश्य
दरअसल जिला अस्पताल सहित विकास खंड स्तर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का लोढ कम करने और लोगों को घर के नजदीक ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए इन क्लीनिकों की स्थापना करने का सरकार का उद्देश्य था। स्थिति ये है कि कई जगह क्लीनिक बनाने के लिए भूमि नहीं मिली हैं तो कुछ स्टाफ की कमी के चलते संचालित नहीं हो रही है। - यहां अभी स्टाफ की कमी
शहर के वार्ड क्रमांक नौ जौरा खुर्द के नाम से वार्ड क्रमांक 12 कमिश्नर कॉलोनी में मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक के लिए बिल्डिंग बना दी है लेकिन स्टाफ नहीं होने पर उसका उद्घाटन तक नहीं हो सका है। पिछले करीब एक साल से बिल्डिंग बनकर तैयार है लेकिन उसका शुभारंभ नहीं हो सका है। इसी तरह स्टाफ की कमी के चलते वार्ड क्रमांक 10 जौरी में संजीवनी क्लीनिक उप स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंग में संचालित की जा रही है। वह भी अक्सर सुबह देर से खुलती है और दोपहर डेढ़ दो बजे बंद हो जाती है। - कहां बन गई क्लीनिक, कहां इंतजार
शहर के लिए 15 संजीवनी क्लीनिक स्वीकृत हुई थीं, जिनमें से आठ चालू हो चुकी हैं जबकि सात पेडिंग पड़ी हैं। इनमें से मुरैना गांव वार्ड क्रमांक 6, एस पी बंगला के पीछे वार्ड क्रमांक 13, लालौर कला वार्ड क्रमांक तीन, सिंगल बस्ती वार्ड 20 में अभी काम शुरू नहीं हुआ है। जबकि शिकारपुर वार्ड 35, संजय कॉलोनी वार्ड 42 में अभी तक जगह चिन्हिंत नहीं हो सकी है। कमिश्नर कॉलोनी वार्ड 12 में बिल्डिंग बन गई लेकिन शुभारंभ नहीं हो सका है। अंबाह के लिए स्वीकृत दो क्लीनिकों का काम शुरू नहीं हो सका है। नूराबाद बानमोर के लिए एक थी, वह भी पेडिंग में हैं। जौरा में पेडिंग है, कैलारस में शुरू हो चुकी है। पोरसा में दो स्वीकृत हुई थीं जिनमें से एक पेडिंग और एक शुरू हो चुकी है। सबलगढ़ के लिए तीन स्वीकृत हुई थीं, जिनमें से एक शुरू हो चुकी है और दो पेडिंग हंैं।
वार्ड 12 में संजीवनी क्लीनिक की बिल्डिंग बने हुए करीब एक साल हो गया लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। पता चला है कि स्टाफ न होने की वजह से क्लीनिक शुरू नहीं हुई है। लोगों को उपचार भी नहीं मिल पा रहा है।
मुन्नालाल शर्मा, कमिश्नर कॉलोनी
- दवा मिलने में आ रही मुश्किलें
जौरी में संजीवनी क्लीनिक उप स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंग में संचालित है। वह भी देरी से खुलना और दोपहर ढेड़ दो बजे बंद होना रोजाना का शैड्यूल बन गया है जिससे लोगों को समय पर दवा व उपचार नहीं मिल पा रहा है।
विवेक पाठक, जौरी
सीएमएचओ डॉ. पदमेश उपाध्याय से सीधी बात
पत्रिका: मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक खोलने का उद्देश्य क्या था।
सीएमएचओ: सरकारी अस्पतालों में मरीजों का लोढ कम हो सके और लोगों को घर के नजदीक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध मिल सके।
पत्रिका: कमिश्नर कॉलोनी में बिल्डिंग बने हुए एक साल हो गई, क्लीनिक शुरू नहीं हो सकी है।
सीएमएचओ: यहां के लिए भोपाल से डॉक्टर एलॉट नहीं हुआ है। वहीं संजय कॉलोनी में थोड़ा सा काम रह गया है, इसलिए शुरू नहीं हो सकी हैं।
पत्रिका: जिन क्लीनिकों की बिल्डिंग पेडिंग पड़ी हैं, उनकी जमीन के लिए कलेक्टर साहब से बात हुई है। जमीन मिलते ही उनका भी काम शुरू हो जाएगा।