मुरैना. सरकारी स्कूलों में सोमवार से बच्चों का आना शुरू हो गया है। पहले दिन स्कूलों में शिकारपुर प्राइमरी स्कूल में संस्था प्रभारी बिल्डिंग का निर्माण करवा रहे थे, वहां न स्टाफ था और न बच्चे आए थे। सूबालाल का पुरा में ताला पड़ा मिला, कुछ स्कूलों में स्टाफ था, बच्चे नहीं थे। कुछ स्कूलों में बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं थी। स्कूल प्रवेशोत्सव के पहले दिन स्कूलों में तमाम खामियां नजर आई। कुछ स्कूल ऐसे भी थे, जिनमें मध्यान्ह भोजन ही नहीं पहुंचा।
शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल एसएएफ में 11.35 बजे यहां प्राइमरी में दर्ज 160 बच्चों में से नौ बच्चे ही मौजूद थे। यहां दोपहर की पाली में मिडिल स्कूल संचालित होता है। स्कूल में जर्जर भवन को डिस्मेंटल कर दिया, नया बना नहीं हैं, सिर्फ तीन कमरे हैं, बच्चे 340 के करीब हैं। यहां दो पाली में स्कूल संचालित है फिर भी एक कक्ष में दो क्लास के बच्चे बैठाने पड़ते हैं।
शासकीय कन्या शाला तुलसी कॉलोनी
शासकीय कन्या शाला तुलसी कॉलोनी में 12.11 बजे दर्ज 97 बच्चों में से एक भी नहीं आया था। यहां चार का स्टाफ है। लेकिन कक्ष एक ही था। जिसमें किताब, मध्यान्ह भोजन के बर्तन, टाटपट्टी सहित स्कूल के सामान के साथ टूटा फर्नीचर भी रखा था, उसी कक्ष में स्टाफ बैठा था। यहां पुराने कमरों को डिसमेंटल कर दिया, नए बने नहीं हैं। यहां मध्यान्ह भोजन नहीं आया था।
शासकीय प्राथमिक विद्यालय पीपरीपुरा
शासकीय प्राथमिक विद्यालय पीपरी पुरा में 12.29 बजे दर्ज 39 बच्चों में से आठ मौजूद मिले। इसके मुख्य द्वार पर पानी भरा हुआ था। बच्चे व स्टाफ पत्थर रखकर स्कूल में पहुंचते हैं। स्कूल के सामने पानी भरा होने से मच्छर पनप रहे थे, बच्चों को संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है।
शासकीय प्राथमिक विद्यालय सूबालाल का पुरा
शासकीय प्राथमिक विद्यालय सूबालाल का पुरा में दोपहर 1.08 बजे स्कूल में ताला पड़ा था। स्कूल परिसर में नाले का गंदा पानी भरा था। रहवासियों ने बताया कि दस बजे रोजाना मैडम आ जाती थी, लेकिन आज नहीं आई हैं। यहां भी मध्यान्ह भोजन नहीं पहुंचा।
शासकीय प्राथमिक विद्यालय शिकारपुर
शासकीय प्राथमिक विद्यालय शिकारपुर में 1.16 बजे एक भी स्टाफ व बच्चे नहीं थे। यहां कमरों का निर्माण चल रहा है, इसलिए बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं हैं। संस्था प्रभारी स्वयं खड़े होकर निर्माण करवा रहे थे, ये निर्माण स्कूल का अवकाश था, तब कराया जा सकता था लेकिन संस्था प्रभारी को निर्माण की सुधि तब आई जब स्कूल खुल गए।
जिन स्कूलों में पुरानी बिल्डिंग डिसमेंटल हो चुकी हैं, उनकी नई बिल्डिंग के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। स्कूलों में ताले लगे होने का मामला गंभीर है। मैं स्वयं कल स्कूलों का निरीक्षण करूंगा, अगर शिकायत मिली तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हरीश तिवारी, जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केन्द्र
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