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मुरैना में माफिया बेखौफ: बेधडक़ उजाड़ रहे चंबल का आंचल

चंबल घडिय़ालों का घर, रेत निकालने पर रोक फिर भी रोजाना नदी का सीना चीरते हुए निकाला जा रहा है एक हजार से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत, प्रशासन नहीं कर पा रहा कार्रवाई, टाक्स फोर्स की बैठकों तक सिमटे निर्देश

मुरैनाJun 12, 2025 / 12:51 pm

Ashok Sharma

मुरैना. सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद भी चंबल नदी में रेत का उत्खनन बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के 26 किमी में फैली चंबल नदी में जगह-जगह बड़े स्तर पर रेत का उत्खनन हो रहा है। शासन व प्रशासन द्वारा अवैध उत्खनन रोकने के दावे खोखले सावित हो रहे हैं। चंबल नदी में एक भी खदान वैध नहीं हैं, उसके बाद भी करीब आधा सैकड़ा स्थानों पर अवैध उत्खनन हो रहा है। चंबल नदी पर पांच खदानों के स्वीकृति के लिए विभाग ने प्रस्ताव भेजा था लेकिन एनजीटी से स्वीकृति नहीं मिली।
पत्रिका टीम राजघाट चंबल नदी के पुराने पुल पर पहुंची। यहां पुल के पास जैतपुर गांव के नीचे अवैध उत्खनन चल रहा था। रेत माफिया के आधा सैकड़ा लोग जेसीबी-लोडर से चंबल नदी का सीना चीरते हुए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रेत भर रहे थे। वहीं रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली बड़ी संख्या में लाइन से खड़े नजर आए। यहां से रोजाना करीब 1000 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत का परिवहन हो रहा है। ग्रामीणों से बातचीत की तो पता चला कि बारिश में चंबल नदी उफान पर आ जाती है और रास्ते भी खराब हो जाते हैं इसलिए चंबल नदी से रेत निकालकर जैतपुर व भानपुर गांव के आसपास खेतों में डंप कर रहे हैं। उस डंप रेत को बारिश के सीजन में शहर में सप्लाई किया जाएगा।

मोडीफाई जेसीबी-लोडर से हो रहा था अवैध उत्खनन

जैतपुर गांव के नीचे चंबल नदी के किनारे रेत माफिया के लोग अवैध उत्खनन कर रहे थे। यहां करीब आठ मोडीफाई ट्रैक्टर जिसमें आगे जेसीबी और पीछे लोडर लगा हुआ था, के द्वारा रेत उत्खनन कर ट्रैक्टर- ट्रॉलियों में भरा जा रहा था। मौके पर करीब दो दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉली भरे हुए और एक दर्जन खाली खड़े थे, जिनमें रेत भरा जा रहा था। खदान के आसपास माफिया के लोग तैनात थे, जो हर आने जाने वाले व्यक्ति पर नजर रखे हुए थे।

एक साथ निकल रहे थे दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रॉली

माफिया के लोग डंप रेत को ट्रैक्टर-ट्रॉली में भर रहे थे। उसके बाद एक साथ 25 से 50 ट्रैक्टर-ट्रॉली निकल रहे थे। ट्रॉली में 100 घन मीटर रेत बनता है लेकिन माफिया के लोग लकड़ी के तख्ते लगाकर ओवरलोड यानि कि 200 से 250 घन मीटर तक रेत भरकर ले जा रहे थे।

यहां हो रही थी रेत की खेती

चंबल नदी के नजदीक स्थित भानपुर व जैतपुर गांव में किसान गेंहू, सरसों की फसल पर ज्यादा फोकस नहीं रहता है बल्कि यहां हर खेत में रेत की फसल हो रही थी। चंबल नदी से परिवहन करके ला रहे रेत को ग्रामीण अपने अपने खेतों में डंप कर रहे थे। यहां से ट्रॉली में रेत भरकर सप्लाई के लिए ले जा रहे थे।

इस तरह का दुस्साहस कर चुका है माफिया

08 मार्च 2012 को आइपीएस नरेन्द्र कुमार की माफिया द्वारा टै्रक्टर से कुचलकर हत्या
05 अप्रैल 2015 को धनेला रोड पर डंपर से कुचलकर पुलिस आरक्षक धर्मेन्द्र चौहान को मौत के घाट उतारा।
07 मार्च 2016 रेत माफिया ने वन आरक्षक नरेन्द्र शर्मा को टै्रक्टर से कुचलकर मारा।
06 सितंबर 2018 में रेत माफिया द्वारा वन नाके पर टै्रक्टर से कुचलकर डिप्टी रेंजर की हत्या।

कलेक्टर अंकित अस्थाना से सीधी बात

पत्रिका: चंबल नदी से हो रहे रेत के अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लगाई जा रही है।
कलेक्टर: टाक्स फोर्स की बैठक में हमने लगातार वन विभाग को निर्देश दिए हैं कि उनके पास जो एसएएफ का बल दिया है, उसको पहले जहां बड़े स्तर पर उत्खनन हो रहा है, वहां एक साथ लेकर कार्रवाई करें, लेकिन ये कर नहीं पा रहे।
पत्रिका: चंबल नदी पर पांच खदानों को शुरू करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, उसका क्या हुआ।
कलेक्टर: पांच खदानों का प्रस्ताव भेजा था, वह केंसिल हो गया है। ईको सेंसीटिव कॉन्सेप्ट था, उसके तहत डीनोटीफाई कर दिया है।

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