यह शिकायत मालाड की रहने वाली 34 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल महिला ने दर्ज कराई थी। फरवरी 2019 में महिला ने चर्चगेट स्टेशन पर स्थित केमिस्ट की दुकान से गुड डे बिस्किट का 10 रुपये का छोटा पैकेट खरीदा था। ऑफिस जाते समय रास्ते में उसने दो बिस्किट खाए, जिसके बाद उसे अचानक मतली महसूस हुई और उल्टी होने लगी। जब उसने बिस्किट पैकेट की जांच की तो अंदर जिंदा कीड़ा देखकर वह चौंक गईं।
इसके बाद महिला जब दोबारा दुकान पर शिकायत करने गई तो दुकानदार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद उसने ब्रिटानिया के कस्टमर केयर से भी संपर्क किया, लेकिन वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
महिला ने तत्परता दिखाते हुए बिस्किट के उस पैकेट को बैच नंबर सहित सुरक्षित रखा और उसे बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के खाद्य विश्लेषक विभाग को परीक्षण के लिए भेजा। 29 अगस्त 2019 को लैब रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि बिस्किट खाने लायक नहीं था और उसमें कीड़ों की मौजूदगी थी।
इसके बाद, महिला ने 4 फरवरी 2019 को ब्रिटानिया को कानूनी नोटिस जारी कर मुआवजा मांगा। लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद महिला ने मार्च 2019 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (Consumer Protection Act 1986) के तहत औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। जिसमें मानसिक पीड़ा के लिए 2.5 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 50,000 रुपये की मांग की।
महिला की ओर से केस लड़ने वाले वकील पंकज कंधारी ने बताया कि यह मामला कई वर्षों तक चला और लगभग 30 से 35 बार सुनवाई हुई। 27 जून को कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि ब्रिटानिया को 1.5 लाख रुपये और दुकानदार को 25,000 रुपये का मुआवजा देना होगा। दोनों को यह रकम 45 दिनों के भीतर अदा करनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो इस राशि पर 9% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
महिला ने पूरी जिम्मेदारी के साथ मामला उठाया
महिला ने हर दिन कि तरह अपने ऑफिस जाने के लिए मलाड से चर्चगेट स्टेशन पहुंची और फिर एक दुकान से बिस्किट खरीदा और उसे खाने के बाद बीमार पड़ गई। उसने पैकेट और बिस्किट दोनों को सैंपल के तौर पर सुरक्षित रखा और उसका अधिकृत लैब से परीक्षण करवाकर अपने आरोपों की पुष्टि कर ली। जब परीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि उत्पाद खाने लायक नहीं था तो उसने उपभोक्ता कानून का सहारा लिया। हालांकि न तो दुकानदार और न ही निर्माता ने मुआवजा देने की पेशकश की, जिसके बाद महिला ने दिग्गज कंपनी के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसे न्याय मिला। आयोग ने कहा, “दूषित बिस्कुट की बिक्री उपभोक्ता विश्वास और खाद्य सुरक्षा कानूनों और उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत वैधानिक कर्तव्यों का गंभीर उल्लंघन है।” इस मामले में महिला ने पूरी जिम्मेदारी के साथ मामला उठाया, नमूना सुरक्षित रखा, जांच करवाई और कानूनी प्रक्रिया अपनाई। यह मामला सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रेरणादायक है तथा उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है।