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मुंबई

महाराष्ट्र: मंत्रियों के निजी सचिवों को लेकर महायुति में रार! 7 मंत्रियों के पास अब भी नहीं है पीएस, CM बोले- नहीं चलेंगे ‘फिक्सर’

Maharashtra Politics : कुछ मंत्री उनकी पसंद का स्टाफ न मिलने पर नाराजगी भी जता चुके है। इस पर सीएम फडणवीस ने दो टूक कहा, मैं ‘फिक्सर’ कि छवि वाले नामों को कभी मंजूरी नहीं दूंगा, चाहे कोई कितना भी नाराज हो।

मुंबईJun 26, 2025 / 09:25 am

Dinesh Dubey

Maharashtra CM Devendra Fadnavis

सीएम देवेंद्र फडणवीस (Photo- IANS)

फंड आवंटन को लेकर बीजेपी नीत महायुति सरकार में पहले से ही घमासान मचा हुआ है। अब मंत्रियों के निजी सचिवों (PS) और विशेष कार्य अधिकारियों (OSD) की नियुक्ती को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। खबर है की महायुति सरकार के गठन के लगभग सात महीने बाद भी सात मंत्रियों के पास अब भी निजी सचिव नियुक्त नहीं किए गए हैं। दरअसल मुख्यमंत्री कार्यालय ने कुछ अधिकारियों की नियुक्ति को नकार दिया है। कई अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया जिस वजह उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग ने नोटिस जरी किया है।

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मिली जानकारी के मुताबिक, 33 अधिकारियों को सामान्य प्रशासन विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया हिया और सात दिन में जवाब मांगा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कहा है कि वह ऐसे अधिकारियों की पीएस और ओएसडी के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी नहीं देंगे जिनकी छवि ‘फिक्सर’ (बिचौलिए) के तौर पर है और जिन पर कोई गंभीर आरोप लगे है। हालांकि सीएम के इस कदम से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी के मंत्रियों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
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महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार बने करीब सात महीने हो गए हैं, लेकिन कई मंत्रियों को अभी भी पूरा स्टाफ नहीं मिला है। हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया था की उनके पास मंत्रियों के निजी सचिवों व ओएसडी कि मंजूरी के लिए 125 नाम भेजे गए थे, जिनमें से उन्होंने 109 नामों को अनुमति दे दी. यानी सीएम ने 16 नामों को ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले से ही मंत्रियों के निजी सचिवों और विशेष कार्य अधिकारियों को तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है, यह कोई नया नियम नहीं है।
बताया जा रहा है कि जिन मंत्रियों को अब तक निजी सचिव नहीं मिले है उनमें शिंदे कि शिवसेना के मंत्री गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, संजय राठोड, शंभूराज देसाई शामिल है, जबकि बीजेपी से मंत्री गणेश नाईक और अजित दादा की एनसीपी के मंत्री छगन भुजबल और दत्तात्रय भरने को भी अब तक पीएस नहीं मिला है।
जानकारी के मुताबिक, सीएम फडणवीस ने मंत्री के कार्यालयों में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नामों की स्क्रीनिंग का काम आईएएस श्रीकर परदेशी (IAS Shrikar Pardeshi) और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के ओएसडी चंद्रशेखर वाजे (Chandrashekhar Vaze) को सौंपा है। महाराष्ट्र कैडर के 2001 बैच के आईएएस अधिकारी परदेशी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से लेकर महाराष्ट्र सरकार तक कई टॉप पदों पर काम किया है। वह वर्तमान में सीएमओ के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। जबकि वाजे ने आरएसएस और बीजेपी पदाधिकारी के रूप में काम किया है।
सीएम फडणवीस ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति के बाद ही कोई भी मंत्री अपने निजी सचिवों, पीए और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगा। नियुक्ति से पहले मंत्रियों के साथ काम करने वाले अधिकारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाएगी।
बता दें कि 2014 में जब बीजेपी और शिवसेना (अविभाजित) की गठबंधन सरकार बनी थी तो तत्कालीन सीएम फडणवीस ने मंत्रियों के स्टाफ की नियुक्ति के लिए यही तरीका अपनाया था। 2014 में फडणवीस पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
मुख्यमंत्री फडणवीस के इस सख्त रुख से यह साफ हो गया है कि महाराष्ट्र सरकार में प्रशासनिक पदों पर दागी छवि वाले अधिकारियों को जगह नहीं मिलेगी। इस फैसले को सरकार में स्वच्छ प्रशासन सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

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