आपको बता दें कि यह भूमि खसरा नंबर 930 पर स्थित है जिसमें मस्जिद के साथ कई दुकानें और होटल बने हुए हैं। इस संपत्ति के अभिलेख नवाब सज्जाद अली खां पुत्र रुस्तम अली खां के नाम पर दर्ज हैं। रुस्तम अली खां के बेटे लियाकत अली खां पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे और उनका परिवार विभाजन के समय पाकिस्तान चला गया था।
मस्जिद के खिलाफ दाखिल की गई थी याचिका
बंटवारे से पहले लियाकत अली खान और उनके परिवार की उत्तर प्रदेश समेत कई स्थानों पर संपत्तियां थीं। विभाजन के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान चले गए और उनकी प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया।
मुजफ्फरनगर में उनके भाई सज्जाद अली खान की जमीन पर कब्जा कर लियाकत अली खान के नाम पर एक मस्जिद बनाई गई और आसपास दुकानें खोल दी गईं। डेढ़ साल पहले इस मस्जिद के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया कि बिना प्राधिकरण की अनुमति के निर्माण किया गया।
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के राष्ट्रीय संयोजक संजय अरोरा ने इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने के लिए प्रशासन और उच्चाधिकारियों को ज्ञापन सौंपे थे। जिलाधिकारी के निर्देशन में तीन सदस्यीय कमेटी ने इस संपत्ति की जांच की और इसे शत्रु संपत्ति माना। लखनऊ से शत्रु संपत्ति पर्यवेक्षक प्रशांत सैनी ने निरीक्षण किया और कब्जा धारकों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया।
अब इस मामले की सुनवाई के बाद पांच दिसंबर को इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। शत्रु संपत्ति के उप संरक्षक राजेंद्र कुमार ने जिलाधिकारी उमेश मिश्रा को पत्र भेजकर संपत्ति पर कब्जा और प्रबंधन का निर्देश दिया।