जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: BJP नेत्री ज्योति मिर्धा हुई भावुक, बोलीं- ‘एक युग का विराम’; अपने दादा का किया जिक्र
Jagdeep Dhankhar Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद बीजेपी नेत्री ज्योति मिर्धा ने ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट साझा कर उनके योगदान को याद किया।
जगदीप धनखड़ के साध ज्योति मिर्धा, फोटो- एक्स हैंडल
Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देशभर में सियासी हलचल मचा दी है। 21 जुलाई 2025 की रात धनखड़ द्वारा स्वास्थ्य कारणों से दिए गए इस्तीफे को मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया। बता दें, 74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके इस चौंकाने वाले फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं।
इसी बीच, नागौर से बीजेपी नेत्री और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट साझा कर धनखड़ के योगदान को याद किया और उनके इस्तीफे को ‘एक युग का विराम’ करार दिया।
सियासी माहौल में भावुक पोस्ट
ज्योति मिर्धा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “एक युग का विराम-श्रद्धा, सम्मान और स्मृति में…”। उन्होंने धनखड़ के इस्तीफे को केवल एक संवैधानिक पद से विदाई नहीं, बल्कि एक ऐसे युग का अंत बताया, जिसने संवैधानिक गरिमा, जनसरोकारों और किसान चेतना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मिर्धा ने धनखड़ को ‘किसान पुत्र’, ‘जननायक’ और ‘न्यायप्रिय विचारक’ के रूप में याद करते हुए कहा कि उनकी आवाज संसद में उन करोड़ों किसानों की पीड़ा और आशाओं की गूंज थी जो अक्सर नीति-निर्माण से बाहर रह जाते हैं।
नाथूराम मिर्धा से प्रेरणा का जिक्र
ज्योति मिर्धा ने अपने दादा और राजस्थान के दिग्गज नेता स्व. नाथूराम मिर्धा के साथ धनखड़ के जुड़ाव को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने न केवल नाथूराम मिर्धा के विचारों को सम्मान दिया, बल्कि उन्हें अपने सार्वजनिक जीवन में जिया भी। मिर्धा ने लिखा कि जब धनखड़ साहब ने स्व. नाथूराम जी को अपना प्रेरणास्रोत बताया, यह मेरे लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का क्षण था।
मिर्धा ने धनखड़ के उपराष्ट्रपति कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने इस गरिमामयी पद की मर्यादा को न केवल निभाया, बल्कि उसमें संवेदनशीलता, निष्ठा और दृढ़ता का अनूठा समन्वय किया। उन्होंने लिखा कि उनकी दृष्टि में संविधान था, हृदय में भारत की जनता और संवाद में सादगी व स्पष्टता।
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‘इस्तीफे से मन में शून्यता का एहसास’
मिर्धा ने धनखड़ को एक साहसी विचारक और आत्मीय मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि उनके इस्तीफे से मन में शून्यता का एहसास हो रहा है, लेकिन उनके विचार और सेवाभावना हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।
बताते चलें कि झुंझुनूं के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ का इस्तीफा राजस्थान के लिए विशेष रूप से झटका है। ज्योति मिर्धा खुद नागौर से हैं और धनखड़ के गृह जिले से नजदीकी ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ का योगदान इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
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