निजी स्कूलों में प्रवेशोत्सव अप्रेल में ही शुरू हो जाता है और पढ़ाई भी जल्द शुरू हो जाती है। जबकि सरकारी स्कूलों में मई तक तो वार्षिक परीक्षाएं होती हैं। नया सत्र जुलाई में शुरू होता है। वहां बच्चों को सुविधाएं भी ज्यादा मिलती हैं। यही वजह है कि लोगों का सरकारी स्कूलों से मोह भंग हो रहा है। जबकि सरकारी स्कूल से जोड़े रखने के लिए प्रत्येक बच्चे पर सरकार कई हजार रुपए खर्च करती है और योजनाएं चलती है।
सरकारी स्कूल के दायरे में आने वाले सभी बच्चों को स्कूल से जोडऩे के लिए विभाग ने जोर दिया है। इसमें अनामांकित एवं ड्रॉपआउट बच्चे, प्रवासी श्रमिकों के बच्चे और बालश्रम से मुक्त करवाए गए बालक-बालिकाओं के साथ ही आंगनबाड़ी से बच्चों को जोड़ा जाएगा। सर्वे के दौरान शिक्षक अपने साथ स्कूल की विविध उपलब्धियों में बोर्ड परीक्षा परिणाम, स्कूल में सुविधाओं और पूर्व विद्यार्थियों की उपलब्धियों के पम्पलेट्स आदि साथ लेकर जाएंगे। प्रवेशोत्सव एवं हाउस होल्ड सर्वे की साप्ताहिक मॉनिटरिंग होगी। गौरतलब है कि जिले में वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 3.13 लाख है।