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नागौर में ‘चेतना’ बोरवेल में गिरी तो रेस्क्यू करना होगा मु श्किल, इसलिए समय पर ‘चेतना’ जरूरी

नागौर जिले में ज्यादातर बोरवेल 1000 फीट तक गहरे, इतनी नहीं हो पाएगी खुदाई, ऐसे हादसों से बचने के लिए समय पर जागना जरूरी

नागौरJan 06, 2025 / 09:22 pm

shyam choudhary

Parasara
नागौर. जिले सहित प्रदेश व देश में बंद हो चुके बोरवेल को बंद करने को लेकर बरती जा रही लापरवाही के परिणाम आए दिन हमारे सामने दुर्घटनाओं के रूप में आते हैं। कई जगह बोरवेल में गिरने वाले बच्चों को रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत बचा लिया जाता है तो कुछ हादसे ऐसे भी हुए, जहां बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
नागौर जिले के थांवला के निकट एक ढाणी में करीब पांच साल पहले बोरवेल में गिरी दो साल की बालिका को सुरक्षित निकाल लिया गया, क्योंकि बोरवेल की गहराई मात्र सवा सौ फीट थी। इसके अलावा नागौर में पिछले लम्बे समय अंतराल में ऐसा कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन यदि नागौर के खींवसर, मूण्डवा, नागौर, जायल तहसील क्षेत्रों में यदि ऐसा हादसा हो गया तो फिर बच्चे को बचाना तो दूर रेस्क्यू के बारे में सोचना भी मुश्किल होगा। गत सप्ताह मूण्डवा में आयोजित एक कार्यक्रम में उपखंड अधिकारी लाखाराम ने कहा कि नागौर में दुर्भाग्य से ऐसी घटना हो गई तो रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि यहां बोरवेलों की गहराई एक हजार फीट तक है और इतनी गहराई तक खुदाई करके बच्चे को निकालना वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों से संभव नहीं है। इसलिए हमारा प्रयास हो कि ऐसे हादसे हो ही नहीं। इसके लिए हमें खुले पड़े बोरवेल को समय रहते बंद कर देना चाहिए।
गौरतलब है कि प्रदेश में हाल ही में हुए बोरवेल हादसों के बाद भी जिले में बहुत से ऐसे बोरवेल खुले पड़े हैं, जिनसे बड़ी घटना हो सकती है। सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने खुले बोरवेलों को कवर करने के लिए विशेष अभियान चलाया है, जिसके तहत राजस्व कर्मचारी लगातार खुले पड़े बोरवेल को बंद करने में जुटे हैं, इसके बावजूद कई ऐसे बोरवेल हैं, जहां तक कर्मचारी नहीं पहुंच पाए हैं। जिसके चलते बोरवेल दुर्घटना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
पारासरा में ग्रामीणों को किया जागरूक

ग्राम पंचायत खरनाल के पारासरा ग्राम में सोमवार को राज्य सरकार के आदेशानुसार हल्का पटवारी सुभाष जांगिड़ व ग्राम विकास अधिकारी महेन्द्र ने बन्द पड़े नलकूपों का फील्ड में सर्वे किया तथा मौके पर ही जागरूक किसान नेनाराम जांगिड़, इन्द्रसिंह, जितेन्द्रसिंह की सहायता से सूखे नलकूप पर लौहे का ढक्कन वेल्डिंग करवाकर बन्द करवाया। इसके साथ ही नरेगा कार्यस्थल पर पहुंचकर श्रमिकों को बंद/सूखे पड़े नलकूपों को बंद करने के लिए जागरूक किया।
पत्रिका व्यू…. हमें समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी

बोरवेल दुर्घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन के साथ आम लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। बोरवेल बंद करने के लिए जहां प्रशासन को युद्ध स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, वहीं आमजन को सरकारी कर्मचारियों का इंतजार किए बिना अपने स्तर पर ही बंद पड़े बोरवेल को बंद करने की आवश्यकता है। क्योंकि एक ओर जहां सार्वजनिक स्थानों पर बहुत से बोरवेल खुले पड़े हैं, वहीं लोगों ने अपने घरों व खेतों में भी बोरवेल बनाकर खुले छोड़ रखे हैं। उनकी भी जानकारी प्रशासन तक होना आवश्यक है, जिससे फिर से ऐसी दुर्घटनाओं को दोहराया न जा सके।
सावधान रहने की आवश्यकता

यह बात सही है कि नागौर जिले में बोरवेल की गहराई अन्य जिलों की तुलना में अधिक है। एक हजार फीट गहरे बोरवेल में हादसा होने पर बचाव कार्य काफी मुश्किल हो सकता है। इसलिए जिलेवासियों को सावधान रहने की आवश्यकता है और खुले पड़े बोरवेल बंद करने चाहिए। अन्यथा हादसा होने पर संबंधित के खिलाफ जान जोखिम में डालने का मामला भी दर्ज हो सकता है।
– चम्पालाल जीनगर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, नागौर

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