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नागौर

बच्चों में बढ़ रहा मोटापा बना चिंता का विषय, अब स्कूलों में पढ़ाएंगे मोटापा कम करने के उपाय

‘बढ़ते बचपन के मोटापे’ को कम करने के लिए शिक्षा विभाग ने जारी की एडवायजरी, खाने में 10 प्रतिशत तेल कम करने, फास्ट फूड से दूर रहने व भोजन की मात्रा नियंत्रित करने जैसे कई उपायों पर जोन देने के निर्देश

नागौरApr 15, 2025 / 07:49 pm

shyam choudhary

बच्चों में बढ़ रहा मोटापा
नागौर. देश के बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से चिंता जाहिर करने के बाद अब शिक्षा विभाग ने बच्चों के मोटापे को कम करने की तैयारी की है। प्रारम्भिक शिक्षा (आयोजना) विभाग, जयपुर की संयुक्त शासन सचिव मुन्नी मीना के निर्देशों की पालना में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने 9 अप्रेल को एडवायजरी जारी की है।
जाट ने पत्र में बताया कि प्रधानमंत्री ने ‘परीक्षा पे चर्चा-2025’ और ‘मन की बात’ में भारत में स्कूली छात्रों में ‘बढ़ते बचपन के मोटापे’ के बारे में चिंता व्यक्त की है। साथ ही उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के आदेश की पालना में राज्य सके सभी संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा को ‘बढ़ते बचपन के मोटापे’ को कम करने के लिए 17 बिन्दुओं की जारी एडवाइजरी की पालना करने के निर्देश दिए हैं।
इसके तहत नागौर जिले के स्कूलों में बच्चों में मोटापा रोकने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसमें पहली से आठवीं तक के बच्चों को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों के लिए बनने वाले दोपहर के भोजन में तेल के उपयोग को 10 प्रतिशत तक किया जाएगा।
ज्यादा तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

एडवायजरी में बताया कि अत्यधिक खाद्य तेल का सेवन कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, हृदय रोग और पाचन संबंधी समस्याओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए विद्यार्थियों में एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए दैनिक भोजन में तेल के सेवन के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। विद्यार्थियों को खाद्य तेल के अत्यधिक सेवन के प्रतिकूल प्रभावों और मोटापे से इसके संबंध के बारे में जानकारी देने की तत्काल आवश्यकता है। पीएम पोषण योजना स्वस्थ खाने की आदतें डालने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है, जिससे विद्यार्थियों को कम से कम तेल में ताजा, पौष्टिक भोजन तैयार कर खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
विद्यालय पोषण उद्यानों की सब्जियां खिलाएं

एडवाइजरी में बताया कि पोषाहार में विद्यालय पोषण उद्यानों में उगाई गईं सब्जियां सीधे उपयोग की जाएं, जो वातावरण अनुकूलता के साथ-साथ ताजगी भी प्रदान करती हैं। बागवानी में सक्रिय रूप से शामिल होने से विद्यार्थियों में पौष्टिक भोजन के प्रति रुचि विकसित होगी। वे प्रकृति से जुड़ेंगे और शारीरिक रूप से सक्रिय रहेंगे।
कार्यक्रमों से बताएंगे लाभ

कम खाद्य तेल की खपत के लाभों के बारे में विद्यार्थियों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसमें भोजन में तेल के उपयोग को कम करने के महत्व पर संगोष्ठी आयोजित करने, गृह विज्ञान महाविद्यालयों और स्वास्थ्य संस्थानों से पोषण विशेषज्ञों को आमंत्रित करने , स्वस्थ खान-पान की आदतों पर स्कूल स्तर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने व विजेताओं को पुरस्कार देने के निर्देश हैं। ‘इको-क्लब गतिविधियां’ जैसे वार्ता, समूह चर्चा और पोषण एवं स्वास्थ्य पर निबंध लेखन के आयोजन एवं भागीदारी को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी हैं। स्वस्थ खान-पान की आदतों का महत्व बताने के लिए विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों को शामिल कर विद्यालय प्रबंधन समिति की विशेष बैठकें आयोजित की जाएगी।
स्वास्थ्यवर्धक खाने पर जोर

विद्यार्थियों को उबली, भाप से पकाई हुई व ग्रिलिंग और बेक कर स्वास्थ्यवर्धक खाना बनाने की तकनीकों के बारे में बताया जाएगा। खाद्य तेल की मात्रा के लिए मापकर डालने को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और स्नैक्स के कम सेवन तथा इसकी बजाए संतुलित पोषण के लिए फल, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार देने पर जोर रहेगा।

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