गत वर्ष पशु परिवहन के दौरान रास्ते में आई परेशानी को देखते हुए इस बार स्थानीय पशुपालकों के साथ बाहर से आए पशुपालकों ने भी जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की सामने अपनी समस्या रखी तथा इस बार रास्ता रोकने वाली समस्या का सामना नहीं करना पड़े, इसके पुख्ता बंदोबस्त करने के लिए कहा, जिस पर जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर राज्य के पुलिस अधिकारियों के साथ अन्य पड़ौसी राज्यों के पुलिस अधिकारियों को इसके पुख्ता बंदोबस्त करने की मांग की।
जिला कलक्टर का पत्र मिलने के बाद राजस्थान सरकार के गृह विभाग के संयुक्त शासन सचिव अविचल चतुर्वेदी ने राजस्थान के महानिदेशक पुलिस को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने नागौर के श्री रामदेव पशु मेला 2025 में राजस्थान से बाहर के किसानों की ओर से कृषि कार्य के लिए खरीदे गए गौवंश को अन्य स्थानों पर परिवहन करने के दौरान सुरक्षा प्रदान करने को कहा है। संयुक्त शासन सचिव चतुर्वेदी पत्र में नागौर जिला कलक्टर के पत्र का हवाला देते हुए बताया कि श्री रामदेव पशु मेला- 2025 का आयोजन पशुपालन विभाग के तत्वावधान 30 जनवरी से 12. फरवरी तक किया जा रहा है। जिसमें मुख्य रूप से नागौरी बैलों का क्रय-विक्रय होता है, जिसमें अन्य राज्यों से व्यापारी मेले में बैल खरीदने आते हैं। पशु मेले में क्रय किए गए गोवंशों (बैलों) को अन्य राज्य में ले जाने के लिए आवश्यक विधिवत प्रकिया एवं आवश्यक दस्तावेज पयुपालन विभाग की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके बावजूद क्रय किए गए गोवंश के परिवहन के दौरान विभिन्न संगठनों की ओर से विरोध किए जाने पर पुलिस प्रशासन की ओर से गोवंशों को ले जाने वाले वाहनों को रोक लिया जाता है तथा उनके क्रय किए गए पशुओं को गोशालाओं में छुड़वाया जाता है, जिससे पशुपालकों के साथ-साथ ट्रक चालकों को भारी नुकसान होने के साथ ही मानसिक क्षति भी होती है। इसलिए श्री रामदेव पशु मेले में क्रय किए गए पशुओं के परिवहन में किसी भी प्रकार की असुविधा पशुपालकों को नहीं हो, इसके संबंध में सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देशित करें।
इस प्रकार हुई पशुओं की बिक्री – मेले में इस बार कुल 4947 पशुओं की आवक हुई, जिसमें गोवंश की संख्या 2069 रही, जबकि ऊंटों की 2198, भैंस वंश की 135 तथा अश्व वंश की 545 रही। मेले में शनिवार को भी पशुओं की आवक जारी रही और दिनभर में कुल 174 पशु आए।
– 406 गोवंश व 8 अश्व वंश राज्य से बाहर बिके, जिनकी कीमत एक करोड़, 93 लाख, 30 हजार 500 रुपए रही। मेले में अधिकतम 86 हजार रुपए व न्यूनतम 13 हजार रुपए का बैल बिका। अश्व वंश की अधिकतम कीमत 1.40 लाख रही, जबकि न्यूनतम 25 हजार का बिका।
– ऊंटों की बिक्री राजस्थान के अंदर ही हुई, जिसमें कुल 270 ऊंट मेले में बिके। जिनसे पशुपालकों को 93 लाख, 36 हजार रुपए की आय हुई। ऊंट की अधिकतम कीमत 65 हजार तथा न्यूनतम 13 हजार लगी।
– मेले में कुल बिक्री 2,12,66,500 रुपए की हुई है। मेले में ऊंटों की संख्या ज्यादा रही यूं तो नागौर का विश्व प्रसिद्ध राज्य स्तरीय श्री रामदेव पशु मेला नागौरी बैलों के लिए पहचाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मेले में ऊंटों की आवक भी बड़ी संख्या में होने लगी है। इस बार मेले में बैलों से ज्यादा ऊंटों की आवक हुई। हालांकि बिक्री में बैल आगे रहे। मेले में आए पशुपालकों का कहना है कि बैलों से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में गन्ने व धान की खेती की जाती है, इसलिए खरीदार भी इन्हीं राज्यों से आते हैं। यदि पशु परिवहन के दौरान पशुपालकों को परेशानी नहीं आए तो खरीदारों की संख्या बढ़ भी सकती है। गौरतलब है कि तीन साल तक के बछड़ों का परिवहन राज्य से बाहर ले जाने पर पाबंदी है। इसी प्रकार ऊंटों को भी राज्य से बाहर नहीं ले जाया जा सकता।