बता दें, इस दौरान धरना, प्रदर्शन, जुलूस, हथियार या लाठी रखना, नशा करना और सोशल मीडिया पर जाति आधारित पोस्ट करने पर सख्त पाबंदी रहेगी। यह कदम तेजा सेना और क्षत्रिय करणी सेना द्वारा 8 जून को प्रस्तावित रैलियों के आह्वान के मद्देनजर उठाया गया है, ताकि कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द बनाए रखा जा सके।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
बताते चलें कि विवाद की जड़ नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनीवाल के एक बयान से शुरू हुई। बेनीवाल ने हाल ही में राजस्थान के इतिहास पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि राजस्थान के राजघराने युद्ध से बचने के लिए मुगलों को 70 किलोमीटर पहले ही अपनी बेटियां सौंप देते थे। इस बयान ने क्षत्रिय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया। इसके जवाब में क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने बेनीवाल को चेतावनी देते हुए 8 जून को नागौर में ‘क्षत्रिय स्वाभिमान अस्मिता महासम्मेलन’ बुलाने की घोषणा की थी। दूसरी ओर, तेजा सेना ने भी उसी दिन सभा आयोजित करने का ऐलान किया, जिससे जातीय तनाव की आशंका बढ़ गई। जिला प्रशासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कदम उठाए।
सभा या जुलूस की अनुमति नहीं
कलेक्टर के आदेश के अनुसार, 8 जून को किसी भी संगठन को सभा या जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी। सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए करणी सेना ने 5 जून को नेहरू पार्क, नागौर में बैठक बुलाई, जिसमें सामुदायिक सहमति के आधार पर ज्ञापन सौंपने पर विचार किया जाएगा। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति भंग होने की स्थिति में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की
नागौर पुलिस और प्रशासन ने संभावित तनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। रेंज आईजी और जिला पुलिस अधीक्षक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। बेनीवाल के बयान ने पहले ही राजस्थान में सियासी घमासान मचा दिया है और करणी सेना के साथ-साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर ने भी उनके बयान की निंदा की है।
प्रशासन का यह कदम सामाजिक तनाव को रोकने और शांति सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है। नागौर के नागरिकों से अपील की गई है कि वे शांति बनाए रखें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।