एक ओर पुलिस गैंगरेप और वीडियो कांड में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य जुटा रही है, तो दूसरी ओर होटल संचालकों की मनमानी लड़ाई को कमजोर बना रही है। यदि नियम विरुद्ध होटल संचालन पर अब भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे अपराधों को रोकना सिर्फ कागजी कोशिश बनकर रह जाएगी।
पुलिस की चेकिंग, लेकिन खुफिया तंत्र पर सवाल
पीड़िता के बयान के बाद पुलिस ने नगर की कई होटलों की चेकिंग की। होटल के रजिस्टर और रिकॉर्ड खंगाले गए, लेकिन सवाल यह है कि अगर जांच के बाद ही पुलिस सक्रिय होती है, तो पुलिस का खुफिया तंत्र क्या कर रहा था? क्या पहले से सूचना तंत्र कमजोर हो चुका है? ये भी पढ़ें: ग्वालियर में जल्द चलेंगी पीएम ई-बस सेवा की 60 बसें, तय होंगे 10 रूट !
होटल बना असुरक्षित ठिकाना
जांच में सामने आया कि होटल संचालक मोटी रकम लेकर बिना आइडी प्रूफ के कमरे दे रहे हैं। यह सिर्फ एक होटल की बात नहीं, नगर की कई होटलों में इसी तरीके से डील होती है। अश्लील वीडियो और ब्लैकमेलिंग जैसे संगीन मामलों में इन होटलों की भूमिका अब संदेह के घेरे में है।
पहले भी खुल चुकी पोल, नहीं सुधरे होटल
तत्कालीन सीएसपी पिंटू कुमार बघेल के कार्यकाल में हाइवे किनारे कुछ युवक-युवतियों को होटल से संदिग्ध हालत में पकड़ा गया था। इससे पहले भी होटल संचालकों द्वारा बिना पहचान लिए अधिक पैसे लेकर कमरे देने के मामले सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके कोई ठोस और स्थायी कार्रवाई नहीं हो सकी।