कभी देखी है तेंदुआ छिपकली? गिरगिट की तरह बदलती है रंग
MP News : क्या आपने कभी तेंदुआ छिपकली देखी है या फिर इसका नाम सुना है? ये सवाल इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में नाइट सफारी के दौरान पर्यटकों को ये दुर्लभ तेंदुआ छिपकली नजर आई है।
Leopard Gecko: क्या आपने कभी तेंदुआ छिपकली देखी है या फिर इसका नाम सुना है? ये सवाल इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व(Satpura Tiger Reserve) में बफर जोन में नाइट सफारी के दौरान पर्यटकों को ये दुर्लभ तेंदुआ छिपकली नजर आई इसे अंग्रेजी में लेपर्ड गेको कहा जाता है। 10 सेंटीमीटर लंबी इस तेंदुआ छिपकली ने टूरिस्टों को अचंभित कर दिया। इसी दौरान गाइड आर पटेल ने इसका वीडियो बनाया व फोटो खींचे और टूरिस्टों को इसके बारे में बताया।
जानकारी के मुताबिक तेंदुआ की तरह इस छिपकली के चमड़ी पर भी पीले निशान होते है। लेपर्ड गेको में गिरगिट की तरह रंग बदलने को क्षमता होती है। पत्तों और चट्टानों पर यह अचानक रंग भी बदल लेती हैं। इससे बहुत करीब जाने पर इन्हें देखा जा सकता है। मढ़ई एसडीओ अंकित जामोद ने बताया कि साल 2014 में यह पहली बार सतपुड़ा(Satpura Tiger Reserve) के जंगलों में देखी गई थी। इसके बाद से यह एसटीआर में दुर्लभ प्रजातियों की श्रेणी में शामिल की गई है। बफर और कोर जॉन में यह स्पॉट हो रही है।
एसटीआर की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा का कहना है कि समय समय पर लेपर्ड गेको को देखा जाता है। इसकी सुरक्षा और संरक्षण के उपाय अपनाए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
सेवानिवृत्त पीसीसीएफ एसएस राजपूत ने बताया कि बफर जोन में जो लेपर्ड गेको स्पॉट हुई है। यह बच्चा है इससे यह भी संकेत मिल रहे हैं कि इनकी संख्या पहले से बढ़ी है। तेंदुआ छिपकली की लंबाई 20 से 25 सेमी तक होती हैं । इसकी पीठ पर धब्बेदार पैटर्न होता है। ये अपनी लंबी पतली पूंछ को रक्षा तंत्र के रूप में ऑटोटॉमी की तरह इस्तेमाल करते हैं।