आतंकियों का अबतक नहीं मिला कोई सुराग
अब तक आतंकियों के बारे में कोई पक्का सुराग नहीं मिल पाया है। हमले के कुछ दिन बाद जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस से लेकर एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए चश्मदीद गवाहों से पूछताछ कर रही है और तकनीकी तरीकों से डेटा का विश्लेषण कर रही है। पुलिस को शक है कि इस हमले को कम से कम 5 आतंकियों ने अंजाम दिया, जिनमें से 3 पाकिस्तान के बताए जा रहे हैं। अधिकारियों ने तीन आतंकियों के स्केच जारी किए हैं और उनकी जानकारी देने पर 20-20 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।
अब तक करीब 150 स्थानीय लोगों से पूछताछ
एक पुलिस सूत्र ने बताया कि सबसे पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकियों के स्केच जारी किए, फिर एनआईए ने नया केस दर्ज कर जांच शुरू की। अब तक करीब 150 स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा चुकी है, जिनमें टट्टू वाले, दुकानदार, फोटोग्राफर और एडवेंचर स्पोर्ट्स से जुड़े लोग शामिल हैं। एनआईए ने एक ऐसे स्थानीय शख्स से भी पूछताछ की है, जिसने घटना से 15 दिन पहले इलाके में एक दुकान खोली थी, लेकिन हमले वाले दिन दुकान बंद रखी थी। हालांकि अब तक उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
बैसरन घाटी का एक 3D नक्शा भी तैयार किया
जांच एजेंसी ने हमले की जगह से मोबाइल फोन से मिले डेटा को जमा किया है, जिसमें पीड़ितों के रिश्तेदारों और पर्यटकों द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं। इनका उपयोग तकनीकी मदद से किया जा रहा है। इसके अलावा, बैसरन घाटी का एक 3D नक्शा भी तैयार किया गया है ताकि यह समझा जा सके कि आतंकी कहां से आए, कितनी देर रुके और किस दिशा में भागे। एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा ही नक्शा 2019 के पुलवामा हमले की जांच में भी बनाया गया था।
सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया
हमले के कुछ ही दिनों बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) भी थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन हिरासतों के पीछे दो मकसद थे, पहला हमले से जुड़ी जानकारी जुटाना और दूसरा, यह दिखाना कि ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि जांच में अभी तक खास प्रगति नहीं हो पाई है। एनआईए के हाथ अब भी खाली
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अधिकतर हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ दिया गया है, लेकिन कुछ पूर्व OGW को जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत अब भी हिरासत में रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस और एनआईए को कई लोगों के बारे में सूचनाएं मिलीं, लेकिन ज़्यादातर गलत निकलीं। एक मामले में एक पर्यटक ने तीन लोगों का वीडियो पोस्ट किया था और कहा था कि वे हमलावरों जैसे दिखते हैं। उन्हें हिरासत में लिया गया, लेकिन उनके खिलाफ कुछ साबित नहीं हुआ, इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया।
आतंकी पूरी तरह ऑफलाइन हो गए हैं
अब सर्च ऑपरेशन पहलगाम से आगे बढ़ाकर पूरे दक्षिण कश्मीर के जंगलों में चलाया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में एजेंसियों को कुछ डिजिटल सुराग मिले थे और उन्होंने आतंकियों के संचार नेटवर्क को तोड़ने में कामयाबी भी पाई थी। लेकिन अब आतंकी पूरी तरह ऑफलाइन हो गए हैं। हमले के बाद दक्षिण कश्मीर में दो अलग-अलग अभियानों में सेना और पुलिस ने छह स्थानीय आतंकियों को मार गिराया था, जिनमें टीआरएफ (The Resistance Front) का एक बड़ा कमांडर भी था। पुलिस का मानना है कि यही संगठन पहलगाम हमले के पीछे है।