आधी रात को छोड़ा गया पानी
मामला तब और गंभीर हो गया जब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) — जो कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधीन है और भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर डैम से पानी वितरण को नियंत्रित करता है — ने बुधवार शाम हरियाणा को पानी छोड़े जाने का फैसला किया। जानकारी के अनुसार, भाखड़ा डैम से पानी रात 12:30 बजे छोड़ा गया, लेकिन पंजाब के अधिकारियों ने इसे नंगल डैम (जो भाखड़ा से 13 किमी नीचे स्थित है) पर दोपहर 3:30 बजे रोक दिया। पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी। नंगल डैम बीबीएमबी के नियंत्रण में है।
केंद्र की दखलअंदाजी
गुरुवार को केंद्र सरकार ने इस मामले में सक्रिय हस्तक्षेप करते हुए पंजाब और हरियाणा के बीच के इस जल विवाद को सुलझाने की पहल की है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने बीबीएमबी के चार साझेदार राज्यों — पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान — के मुख्य सचिवों की 2 मई को दिल्ली में बैठक बुलाई है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तीनों ही राज्य भाखड़ा और पोंग डैम से अपनी जल आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री मान ने रूपनगर जिले के नंगल डैम का दौरा किया, जहां राज्य मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया। बैंस ने दावा किया कि उन्होंने डैम के उस कमरे को बंद कर दिया जहां से पानी का नियंत्रण होता है।
विधाानसभा का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक और 5 मई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि उनकी सरकार अब हरियाणा को एक भी बूंद पानी नहीं देने देगी क्योंकि वह पहले ही अपना हिस्सा ले चुका है। उन्होंने कहा है कि बीबीएमबी पंजाब को कैसे आदेश दे सकता है? पंजाब की इसमें 60% हिस्सेदारी है और अंतिम निर्णय भी पंजाब का होता है। राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा पहले अपनी मांगें रखते हैं और उसके बाद पंजाब फैसला करता है। मान ने लगाया गुंडागर्दी और तानाशाही का अरोप
मान ने बीजेपी शासित राज्यों हरियाणा और राजस्थान पर “गुंडागर्दी” और “तानाशाही” का आरोप लगाते हुए कहा कि वे पंजाब को दरकिनार कर पानी छीनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर डैम में इस साल जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में कम है और पंजाब को आने वाले धान की बुवाई के लिए पानी की जरूरत है। हमारे पास खुद पानी नहीं है। इसलिए एक भी बूंद नहीं दी जाएगी।
बीबीएमबी की बैठक में पंजाब के अधिकारियों ने हरियाणा को अधिक पानी देने का विरोध किया, लेकिन बोर्ड ने इन आपत्तियों को खारिज करते हुए पानी छोड़े जाने का आदेश दे दिया।
विवादित मुद्दे पर एक नजर
पंजाब और हरियाणा की सरकारें भाखड़ा नहर से गर्मियों के चरम सीजन से पहले पानी छोड़े जाने को लेकर टकराव में हैं। आइए इस मुद्दे पर एक नजर डालते हैं। 1966 में हरियाणा को पंजाब से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया, जिससे सतलुज और ब्यास नदियों के जल वितरण का मुद्दा विवादास्पद बन गया। 15 मई, 1976 को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की स्थापना की गई ताकि भाखड़ा नंगल और ब्यास परियोजनाओं की निगरानी और सतलुज, ब्यास व रावी नदियों पर बने भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों से जल वितरण को नियंत्रित किया जा सके। यह जल वितरण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और नई दिल्ली के बीच होता है।
1981 का समझौता
इसमें जल आवंटन इस प्रकार किया गया पंजाब: 4.22 मिलियन एकड़ फीट (MAF) हरियाणा: 3.50 MAF राजस्थान: 8.60 MAF उस समय रावी-ब्यास नदियों में कुल अधिशेष जल 17.17 MAF था।
वर्तमान गतिरोध की उत्पत्ति
हरियाणा ने 8,500 क्यूसेक पानी की मांग की है, जबकि पंजाब ने 8,000 क्यूसेक की मांग की है। जून में यह मांग 23,000 क्यूसेक तक पहुंच सकती है। पंजाब का पक्ष
पंजाब का कहना है कि हरियाणा ने अपने हिस्से से अधिक जल उपयोग कर लिया है — वर्तमान लेखा अवधि (22 सितंबर 2024 से 20 मई 2025) में वह 104% पानी उपयोग कर चुका है।
हरियाणा का पक्ष
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि यदि राज्य को उसकी मांग के अनुसार पानी दिया जाता है, तो वह भाखड़ा डैम में संग्रहित पानी का केवल 0.0001% होगा।