चुनाव आयोग से मिला 11 पार्टियों का डेलिगेशन
विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस, राजद, सपा, सीपीआई समेत 11 विपक्षी दलों ने ईसीआई कार्यालय पहुंचकर आपत्ति जताई। साथ ही विपक्ष ने इसे चुनावी समानता के अधिकार का उल्लंघन भी बताया है।
मतदाताओं की जांच करना असंभव-कांग्रेस
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिहार में करीब 7.75 करोड़ वोटर है और इतनी बड़ी संख्या की कुछ महीनों में जांच करना असंभव है। पिछली बार यह प्रक्रिया 2003 में हुई थी, तब लोकसभा चुनाव में एक साल बाद और विधानसभा चुनाव दो साल बाद थे। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव सिर पर है।
तेजस्वी यादव ने भी उठाए सवाल
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशश करने का आरोप लगाया है। राजद नेता ने इसको लेकर सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है। राजद नेता ने एक्स पर लिखा- बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन की क़वायद ना केवल संदेहास्पद बल्कि लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला है। यह गरीबों के वोट काटने की गहरी साजिश है।
‘मतदान का अधिकार छीनने का कर रहे षड्यंत्र’
तेजस्वी यादव ने इसको लोगों का मतदान अधिकार छीनने का षड्यंत्र भी बताया है। तेजस्वी ने एक्स पर लिखा- पीएम मोदी ने निर्वाचन आयोग को बिहार की समस्त मतदाता सूची को निरस्त कर केवल 25 दिन में 1987 से पूर्व के कागजी सबूतों के साथ नई मतदाता सूची बनाने का निर्देश दिया है। चुनावी हार की बौखलाहट में ये लोग अब बिहार और बिहारियों से मतदान का अधिकार छीनने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
गुप्त तरीके से NRC लागू- ओवैसी
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे गुप्त तरीके से एनआरसी लागू करना बताया है। उन्होंने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि ईसी चुपचाप एनआरसी लागू कर रहा है। अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए लोगों को अपने और अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र दिखाने होंगे, जो गरीबों के लिए बेहद कठिन है। SIR के लिए कौन कौन से दस्तावेज हैं जरूरी
बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण के लिए ईसी ने 11 दस्तावजों की लिस्ट जारी की है। इनमें से किसी एक को गणना प्रपत्र के साथ लगाना होगा। ये 11 दस्तावेज निम्न है-
– कोई भी पहचान पत्र या केंद्र या फिर प्रदेश सरकार के नियमित कर्मचारियों अथवा पेंशन लाभार्थियों को मिलने वाला पेंशन भुगतान आदेश – 1 जुलाई 1987 से पहले जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र या प्रमाण पत्र
– पासपोर्ट/ जन्म प्रमाण पत्र/ शैक्षणिक प्रमाण पत्र – मूल निवास प्रमाण पत्र – जाति प्रमाण पत्र – वन अधिकार प्रमाण पत्र – फैमिली रजिस्टर – सरकार की ओर से जारी घर या जमीन का प्रमाण पत्र
– एनआरसी ( बिहार में लागू नहीं)
शामिल कर्मियों के ट्रांसफर पर लगाई रोक
बता दें कि राज्य सरकार ने विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इसमें शामिल कर्मियों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के निर्देश पर बिहार सरकार ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर इस कार्यक्रम के राष्ट्रीय महत्व पर जोर दिया है, जिसे सबसे पहले बिहार में लागू किया जा रहा है।