बीजेपी ने क्यों किया बहिष्कार ?
बीजेपी सांसदों का कहना है कि समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका ने उन्हें यह नहीं बताया कि किन लोगों को गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है। सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को “राष्ट्र-विरोधी” और “शहरी नक्सली” कह कर बैठक से बहिर्गमन किया।हमें नहीं बताया गया था कि कौन लोग बुलाए जा रहे हैं : जायसवाल
बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने कहा, “हमें नहीं बताया गया था कि कौन लोग बुलाए जा रहे हैं। अंदर जाकर देखा कि मेधा पाटकर बैठी हैं। ऐसे लोगों की जानकारी पहले से दी जानी चाहिए थी।”कांग्रेस की सफाई और तीखा जवाब
समिति के चेयरमैन उलाका ने कहा कि सभी नाम लोकसभा स्पीकर कार्यालय से मंजूर हुए थे और इस तरह की प्रक्रिया आम बात है। उन्होंने कहा: “सुनिए तो सही, मेधा पाटकर ज़मीन और पुनर्वास के लिए वर्षों से लड़ती रही हैं। आपकी असहमति हो सकती है, पर लोकतंत्र में सबकी बात सुनना जरूरी है।”बीजेपी सांसदों का रवैया अराजक : कांग्रेस
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बीजेपी सांसदों के रवैये को “अराजकता” बताया और कहा: “जब कोई गवाह बुलाया गया है, तो उसकी बात तो सुनिए। आप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ठेंगा दिखा रहे हैं।”बैठक क्यों हुई रद्द ?
संसदीय समिति में कुल 29 सदस्य हैं। मंगलवार को 14 सदस्य ही पहुंचे थे, लेकिन बीजेपी और उसके सहयोगियों के 8 सांसदों ने बहिष्कार कर दिया, जिससे कोरम पूरा नहीं हो पाया और बैठक रद्द कर दी गई।एचडी देवगौड़ा को लेकर भी भ्रम की स्थिति रही
सूत्रों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को लेकर भी भ्रम की स्थिति रही। बीजेपी का कहना था कि वे भी विरोध में थे, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि उन्होंने बहिष्कार नहीं किया।क्यों है मेधा पाटकर और प्रकाश राज पर विवाद (Medha Patkar controversy)?
मेधा पाटकर लंबे समय से नर्मदा बचाओ आंदोलन का चेहरा रही हैं और सरदार सरोवर बांध का विरोध करने को लेकर गुजरात और बीजेपी नेताओं के निशाने पर रही हैं। प्रकाश राज अपनी खुले तौर पर भाजपा विरोधी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं।भाजपा सांसदों की तीखी टिप्पणियाँ:
🗨️ “अगर मेधा पाटकर और प्रकाश राज को बुला सकते हैं, तो अगली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी बुला लीजिए।”🗨️ “शहरी नक्सलियों को संसदीय समितियों में क्यों बुलाया जा रहा है?”
🗨️ “बैठक के गवाहों की सूची छुपाई गई। ये पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी थी।”
कांग्रेस और विपक्ष का तर्क
“ऐसे लोगों की बात सुनने में क्या बुराई है?”सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं तेज़
🗨️ “देशद्रोहियों को संसद बुलाओगे तो यही होगा!”🗨️ “भाजपा को डर है कि कहीं असलियत सामने न आ जाए…”
🗨️ “क्या संसद अब विचारों को दबाने की जगह बन गई है?”
🗨️ “ये संसदीय बहस है या राजनीतिक अखाड़ा?”