Economic Survey 2025 Finance Minister Nirmala Sitharaman
Economic Survey 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। संसद का बजट सत्र (Budget) आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के साथ शुरू हुआ। इस दौरान उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं और लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार मध्यम वर्ग के अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, वित्त वर्ष 26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत के बीच बढ़ने का अनुमान है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी.अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व वाली टीम की ओर से तैयार आर्थिक सर्वेक्षण, चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का आधिकारिक आकलन प्रदान करता है। सरकार ने बजट सत्र के लिए वित्तीय कार्य के अलावा Waqf (संशोधन) विधेयक सहित 16 विधेयक लिस्टेड किए गए हैं। बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी को समाप्त होगा और उसके बाद बजट प्रस्तावों की जांच के लिए अवकाश होगा। सत्र 10 मार्च को फिर से शुरू होगा और 4 अप्रैल तक चलेगा। पूरे बजट सत्र में 27 बैठकें होंगी।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से जुड़ी जरूरी बातें-
-वित्त वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। -सर्वे में औपचारिक रोजगार क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का शुद्ध अंशदान वित्त वर्ष 19 में 61 लाख से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 131 लाख हो गया है।
-मजबूत बाह्य खाता और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातें मजबूत बनी हुई हैं। -उच्च सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और बेहतर होती कारोबारी उम्मीदों से निवेश गतिविधि में तेजी आने की उम्मीद है।
-सब्जियों की कीमतों में मौसमी नरमी और खरीफ फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है। -वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं। विकास के लिए बाधाओं में भू-राजनीतिक, व्यापार अनिश्चितताएं शामिल हैं।
-वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक, विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और घरेलू बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी। -भारत को जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों और विनियमनों को समाप्त करके वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की आवश्यकता है।
-भारत को जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों और विनियमन के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने की आवश्यकता है।