कनाडा में गुजरात मूल के करीब 1 लाख लोग बसते हैं। इनमें ज्यादातर लोग टोरंटो, मॉन्ट्रियल, ओटावा, केलगरी और वेंकूवर जैसे बड़े शहरों में रहते हैं। 20, 30 वर्षों से गुजरात से कनाडा पहुंचे इन प्रवासियों ने पहले व्यापार में हाथ आजमाया, अब राजनीति में हाथ आजमा रहे हैं। इस बार के संघीय चुनाव में गुजरात मूल के चार नेता चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें ब्रैम्पटन चिंगुआकोसी से जयेश ब्रह्मभट्ट पीपुल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे 2001 में गुजरात से कनाडा गए। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर रियल स्टेट डेवलपर बने इसमें नाम होने के बाद वे अब चुनाव लड़ रहे हैं।
गुजरात मूल के चार नेता उतरे मैदान में
अफ्रीका के तंजानिया में जन्मे गुजरात मूल के संजीव रावल केलगेरी मिदनापुर सीट से लिबरल पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वह 20 वर्षों से केलगेरी में है। पहले उन्होंने व्यापार में हाथ आजमाया और अब राजनीति करना चाह रहे हैं। गुजरात मूल के नेता व स्टोर चेन के मालिक संजीव रावल के पास मिडिल क्लास के बेहतर भविष्य, इंफ्रास्ट्रक्चर अफॉर्डेबल हाउसिंग और रोजगार अवसर के मुद्दे हैं, जिससे वे लोगों को लुभाने की कोशिश में हैं। ज्यादातर पार्टियां हाउसिंग को मुद्दा बनाए हुए है।
निर्दलीय भी आजमा रहे भाग्य
आणंद मूल के दो गुजराती अशोक पटेल और मिनेश पटेल भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमा रहे हैं। अशोक पटेल जहां एडमंटन शेरवुड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं वहीं मिनेश पटेल केलगेरी स्काईव्यू सीट से चुनाव मैदान में हैं। आणंद मूल के ही डॉन पटेल को कंजरवेटिव पार्टी ने चुना था लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें हटा दिया गया। पंजाब मूल के प्रवासियों के बाद गुजराती अहम
कनाडा में पंजाबियों के बाद गुजराती लोगों की संख्या ज्यादा है। पंजाबी समुदाय के लोग ब्रैम्पटन, सरे, वेंकूवर और मिसीसुआरा में हैं। वे बरसों से कनाडा की राजनीति में हैं। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के जगमीत सिंह का नाम अहम है और वे जस्टिन ट्रुडो की सरकार का हिस्सा भी थे। कमल खेरा, अनीता आनंद और सुख धालीवाल भी बड़े नाम हैं। यह सब दूसरी या तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। धालीवाल लिबरल पार्टी की टिकट पर सरे न्यूटन से चुनाव लड़ रहे हैं। वे न्यूटन नॉर्थ डेल्टा से 2006 में भी एमपी चुने जा चुके हैं। 2015 में वाटरलू सीट पर बर्दिश छगगड ने चुनाव जीता था, वे इस बार फिर चुनावी मैदान में हैं।