राहुल ने दिया था साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव
मायावती ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा, “ऐसे में इस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी को किसी भी मामले में दूसरों पर और खासकर बीएसपी की प्रमुख पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में भी जरूर झांक कर देखना चाहिए, तो यह बेहतर होगा। इनको यही सलाह है।” यह बयान तब आया है जब राहुल गांधी ने गुरुवार को रायबरेली में एक कार्यक्रम में कहा था कि वे चाहते थे कि मायावती उनकी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। यब भी पढ़ें: रायबरेली में राहुल गांधी ने चुनाव हारने के लिए मायावती को ठहराया दोषी, जानें वजह गांधी ने कहा, “हम चाहते थे कि मायावती हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ें। अगर तीनों पार्टियां—कांग्रेस, बसपा और अन्य—एक साथ चुनाव लड़तीं, तो भाजपा कभी नहीं जीत पाती। कांशीराम ने नींव रखी। बहनजी ने काम किया। यह मैं भी मानता हूं। मेरा सवाल है, बहन जी (मायावती) आज तक कोई चुनाव ठीक से क्यों नहीं लड़ीं? हम चाहते थे कि लोकसभा में बहन जी भाजपा के विरोध में हमारे साथ चुनाव लड़ें। लेकिन, मायावती जी किसी कारण से नहीं लड़ीं। इस बात का हमें काफी दुख है। अगर तीनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़तीं, तो भाजपा कभी नहीं जीतती।”
मायावती ने अपनी पोस्ट में आगे नई दिल्ली सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “साथ ही, दिल्ली में बनी नई भाजपा सरकार को यहां चुनाव में खासकर जनहित और विकास संबंधी किए गए अपने तमाम वादों को समय से पूरा करने की चुनौती है, वरना आगे चलकर इस पार्टी का भी हाल कहीं कांग्रेस जैसा बुरा न हो जाए।” इस बयान से मायावती ने न केवल कांग्रेस पर हमला बोला, बल्कि भाजपा को भी चेतावनी दी कि उसे अपने वादों पर खरा उतरना होगा, अन्यथा उसकी स्थिति भी कांग्रेस जैसी हो सकती है।
मायावती का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों और विपक्षी एकता की संभावनाओं पर सवाल उठाता है, साथ ही कांग्रेस और बसपा के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर करता है।