सुबह के 10.30 बजे तक भाजपा ने 39 और आप 31 सीटों पर आगे चल रही है। अगर ऐसा ही रहा तो भाजपा 27 साल बाद राजधानी में सरकार बना सकती है, यह दो बार 60 से ज्यादा सीट जीतने वाली आप के लिए एक बड़ा झटका होगा। ऐसे में आइए एक नज़र डालते हैं कि किन कारणों के चलते आप को पिछले दो चुनाव में बम्पर जीत मिली थी और इस बार उन्हें क्यों नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आप ने हासिल किया था 50% से ज्यादा वोट शेयर –
पिछले दो विधानसभा चुनाव में आप पार्टी का 50% से ज्यादा का वोट शेयर रहा है। पार्टी ने 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। आप ने 2015 में 70 में से 54 सीटों पर 50% से ज्यादा का वोट शेयर हासिल किया था। वहीं 2020 चुनाव में 48 सीटों पर पार्टी का 50% से ज्यादा का वोट शेयर था। अगर यह वोट शेयर कम होता है तो आप को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
स्पॉइलर फेक्टर –
पिछले दोनों चुनाव में स्पॉइलर सीट एक बड़ा फेक्टर रहा। स्पॉइलर सीट वो सीट होती हैं जहां चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार का वोट शेयर किसी अन्य उम्मीदवार के मुक़ाबले कम होता है। 2015 विधानसभा चुनाव में 12 और 2020 में 9 ऐसी सीट थीं जहां स्पॉइलर फेक्टर देखने को मिला। 2015 की 12 स्पॉइलर सीटों पर 9 कांग्रेस के उम्मीदवार थे। वहीं 2020 में 9 स्पॉइलर सीटों में से 8 पर कांग्रेस के उम्मीवारों ने अहम भूमिका निभाई थी। स्पॉइलर फेक्टर के चलते भाजपा को 2015 में 7 सीटों पर नुकसान हुआ था, वहीं 2020 में उन्होंने छह सीट हारी थीं। आप को 2015 में एक सीट का नुकसान झेलना पड़ा था। वहीं 2020 में यह संख्या बढ़कर तीन हो गई थी। ऐसे में अगर इस बार स्पॉइलर सीटों की संख्या कम होती है और कांग्रेस का वोट शेयर भाजपा की ओर खिसकता है तो आप को नुकसान झेलना पड़ेगा।
2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में किसे मिला कितना वोट शेयर –
इस चुनाव में आरक्षित सीटें, मुस्लिम बहुल सीटें, महिलाएं और मध्यम वर्ग का वोट नतीजों को तय करने में अहम भूमिका निभाने वाला है। पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नज़र डाली जाये तो बीजेपी को 2015 में 32.19% और 2020 विधानसभा चुनाव में 38.51% वोट मिला था। वहीं आप को 2015 में 54.34% और 2020 में 53.57% वोट मिला था। कांग्रेस का दोनों चुनाव में बुरा हाल था। वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। उन्हें 2015 में 9.65% और 2020 में 4.26% वोट मिले थे।
मुस्लिम वोट एक बड़ा फेक्टर –
दिल्ली चुनाव में मुस्लिम वोट एक बड़ा फेक्टर है। दिल्ली की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 12.9% है। उत्तर पूर्व और मध्य दिल्ली जिलों में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। पिछले दो चुनाव में यहां आप को फायदा हुआ था। दिल्ली में 23 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी कम से कम 10% है। 2015 से 2020 के बीच इन सीटों पर AAP का वोट शेयर 55% के आसपास स्थिर रहा था। 2015 विधानसभा चुनाव में आप का वोट शेयर 55.13% रहा, वहीं 2020 में उन्हें 55.60% वोट मिले। बीजेपी का 2015 में वोट शेयर 29.44% रहा, जो 20202 में बढ़कर 34.57% हो गया और कांग्रेस का वोट शेयर 2015 में 12.81% रहा, जो 2020 में घटकर 5.57% हो गया।
एससी आरक्षित सीटों पर नज़र –
एससी आरक्षित सीटों पर नज़र डाली जाये तो 1993 के बाद से 2008 तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा हैं। लेकिन आप के आते ही यह वोट शेयर वहां शिफ्ट हो गया। वोट शेयर के मामले में भी कांग्रेस और आप दोनों ने कई चुनावों में इन सीटों पर 50% से ज़्यादा वोट हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।
कांग्रेस का दबदबा , लेकिन आप के आते ही वोट शेयर गिरा –
कांग्रेस ने 1993 में 35.68% वोट शेयर हासिल किया था। इसके बाद उन्हें बड़ी उछाल मिली और 1998 में 53.89%, 2003 में 50.36% और 2008 में 44.66% वोट शेयर हासिल किया। लेकिन आप के मैदान में आते ही यह वोट शेयर बुरी तरह गिरा। 2013 में कांग्रेस को 23.86% वोट मिला। जो 2015 में गिर कर 9.10% और 2020 में 3.97% रहा गया।
भाजपा और आप का एससी आरक्षित सीटों पर वोट शेयर –
भाजपा ने 1993 में आठ एससी सीटें जीती थी। लेकिन उसके बाद से वे कभी दो से ज्यादा सीट नहीं जीत पाये हैं। 1993 में बीजेपी का सीटों पर वोट शेयर 36.84% रहा। लेकिन इसके बाद यह गिरता चला गया। 1998 में भाजपा ने 28.60% वोट शेयर हासिल किया। 2003 में 32.55%, 2008 में 31.69%, 2013 में 28.78%, 2015 में 27.24% और 2020 में 33.76% रहा। आप ने 2013 विधानसभा चुनाव में एंट्री मारी थी, 2013 में उनका एससी सीटें पर वोट शेयर 34.56% रहा। जो 2015 में बढ़कर 58.88% हो गया। 2020 विधानसभा चुनाव में 57.23% हो गया।