EDLI स्कीम: क्या है और कैसे करती है काम?
EDLI (Employees’ Deposit Linked Insurance) योजना का मुख्य उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान करना है। यदि किसी कर्मचारी की सर्विस पीरियड के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी या नामित व्यक्ति (नॉमिनी) को बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। इस स्कीम के तहत फिलहाल न्यूनतम 2.5 लाख रुपये और अधिकतम 7 लाख रुपये का बीमा कवर मिलता है।
बीमा राशि का निर्धारण
बीमा की राशि कर्मचारी के अंतिम 12 महीनों के औसत वेतन पर आधारित होती है। इस स्कीम के लिए कर्मचारी को अलग से कोई योगदान नहीं करना पड़ता, जबकि नियोक्ता हर महीने कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 0.5% (अधिकतम 75 रुपये प्रति माह) के हिसाब से अंशदान करता है। यह बीमा कवर अन्य किसी बीमा पॉलिसी को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसके अतिरिक्त एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
योग्यता और शर्तें
– EPF सदस्यता: EDLI का लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलता है जो EPFO के सदस्य हैं। – निरंतर नौकरी: यदि कर्मचारी लगातार 12 महीनों से नौकरी कर रहा है, तो उसकी मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस या नामांकित व्यक्ति को कम से कम 2.5 लाख रुपये मिलना तय है। – मृत्यु के प्रकार: नौकरी के दौरान बीमारी, दुर्घटना या स्वाभाविक मृत्यु होने पर इस स्कीम के तहत क्लेम किया जा सकता है। – नॉमिनेशन: यदि कोई नॉमिनेशन नहीं हुआ है, तो मृतक कर्मचारी के जीवनसाथी, अविवाहित बेटियां और नाबालिग बेटे कानूनी रूप से बीमा राशि के हकदार होते हैं।
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कैसे करें बीमा राशि का क्लेम?
बीमा राशि का क्लेम करने के लिए फॉर्म 5IF भरना होता है। साथ ही कुछ अन्य जरूरी दस्तावेज भी जमा करने पड़ते हैं, जैसे…
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- नामांकन प्रमाण पत्र या कानूनी वारिस का प्रमाण
- PF निकासी फॉर्म (यदि निकासी भी साथ में करनी है)
एक बार फॉर्म और दस्तावेज पूरे हो जाने के बाद, इसे संबंधित EPFO कार्यालय में जमा करना होता है।
प्रीमियम कौन देता है?
इस स्कीम की एक खास बात यह है कि कर्मचारी को किसी भी प्रकार का अतिरिक्त अंशदान नहीं करना पड़ता। सारा प्रीमियम नियोक्ता द्वारा वहन किया जाता है। यह योगदान आमतौर पर मासिक आधार पर किया जाता है।
बीमा राशि में हालिया बदलाव
पहले EDLI योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि 6 लाख रुपये हुआ करती थी, लेकिन इसे अप्रैल 2024 में बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया। साथ ही न्यूनतम बीमा राशि 2.5 लाख रुपये तय की गई है। यह बदलाव केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।