अगले 7 दिनों तक भारी बारिश का अनुमान
छत्तीसगढ़ में 5-7 जुलाई और विदर्भ में 7-8 जुलाई को बहुत भारी बारिश हो सकती है। गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा में 5-6 जुलाई को भी भारी बारिश का अनुमान है। इसके अलावा अधिकांश क्षेत्रों में अगले 7 दिनों तक गरज, बिजली और 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहने की संभावना है।उत्तर-पश्चिम भारत में भी बारिश का दौर
उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में 5-11 जुलाई के बीच भारी बारिश की संभावना है। 6 जुलाई को हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है। 7-8 जुलाई को हिमाचल, 5-7 जुलाई को उत्तराखंड और 6-7 जुलाई को पंजाब और हरियाणा में भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।पश्चिम भारत में भारी बारिश का अलर्ट
मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों में 6-7 जुलाई को अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है। कोंकण, गोवा, गुजरात क्षेत्र और मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों में अगले 7 दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। मराठवाड़ा में 6-7 जुलाई को भारी बारिश हो सकती है। इस दौरान गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी।उत्तर-पूर्व भारत में भी जारी रहेगा बारिश का सिलसिला
पूर्वोत्तर भारत में अगले 7 दिनों तक अधिकतर स्थानों पर गरज, बिजली और अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। 5 जुलाई को मेघालय में बहुत भारी बारिश हो सकती है।दक्षिण भारत में भी बारिश का अनुमान
दक्षिण भारत में 5 जुलाई को तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और माहे में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना है। 5-6 जुलाई को आंतरिक कर्नाटक, 6, 10-11 जुलाई को तटीय कर्नाटक और 9-11 जुलाई को केरल व माहे में भी भारी बारिश की संभावना है। अगले 5 दिनों तक दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।विशेष मौसम तंत्र
मानसून ट्रफ श्रीगंगानगर, भिवानी, आगरा, बांदा, डाल्टनगंज, बांकुरा, दीघा होते हुए पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में 1.5 किमी ऊंचाई तक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। उत्तरी गंगीय पश्चिम बंगाल में ऊपरी हवा में चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, जिससे अगले 24 घंटों में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। दक्षिण गुजरात से कर्नाटक तट तक अपतटीय ट्रफ बनी हुई है।क्या रखें सावधानी?
—भारी बारिश वाले क्षेत्रों में जलभराव और भूस्खलन की आशंका।—बिजली गिरने के समय खुले में जाने से बचें।
—किसानों को सलाह दी जाती है कि वे कटाई व सिंचाई के कार्यों को ध्यान से करें।
—यात्रियों को यात्रा से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें।