आयकर विभाग का जुर्माना
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर.महादेवन की बेंच ने
कर्नाटक में एक ट्रस्ट से संबंधित मामले में फैसला देते हुए यह निर्देश दिए।
कोर्ट ने कहा कि आयकर कानून की धारा 269 ST में दो लाख रुपये से अधिक के लेनदेन को डिजिटल बनाकर काले धन पर अंकुश लगाने के लिए इसके उल्लंघन के मामले में जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
कोर्ट ने यह दिए निर्देश
- किसी मुकदमे में लेनदेन के लिए दो लाख रुपए नकदी लेन-देन की बात सामने आती है तो अदालतों को लेनदेन को सत्यापित करने और धारा 269 एसटी के उल्लंघन की पुष्टि के लिए आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी चाहिए।
- जब भी न्यायालय या अन्य माध्यम से ऐसी कोई सूचना प्राप्त होती है, तो संबंधित आयकर प्राधिकारी विधि सम्मत प्रक्रिया का पालन करते हुए जरूरी कदम उठाएंगे।
- रजिस्ट्री के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेज में किसी अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए नकद में दो लाख रुपये और उससे अधिक की राशि का भुगतान करने का दावा किया जाता है, तो सब-रजिस्ट्रार को संबंधित आयकर प्राधिकरण को इसकी सूचना देनी होगी। आयकर प्राधिकारी कार्रवाई करने से पहले कानून में उचित प्रक्रिया का पालन करेगा।
- किसी आयकर प्राधिकरण को सब-रजिस्ट्रार के अलावा किसी अन्य स्रोत से या तलाशी या मूल्यांकन कार्यवाही के दौरान यह संज्ञान में आता है कि अचल संपत्ति के सौदे में दो लाख रुपये या उससे ज्यादा कानकद भुगतान किया गया है, तो संबंधित रजिस्ट्री प्राधिकारी की विफलता को राज्य के मुख्य सचिव के ध्यान में लाया जाएगा। इससे सब-रजिस्ट्रार के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सके।
अधिनियम 2017 के तहत लेनदेन सीमित
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वित्त अधिनियम 2017 के तहत नकद लेनदेन की सीमा 2 लाख रुपये तक सीमित है। इस सीमा से अधिक नकद लेनदेन आयकर अधिनियम की धारा 269ST का उल्लंघन माना जाता है, जिसके तहत प्राप्त नकद राशि के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है। कोर्ट ने इस प्रावधान के असंतोषजनक क्रियान्वयन पर चिंता जताई और कहा, “अगर कानून है, तो उसे लागू किया जाना चाहिए।