कब पेश किया जाएगा महाभियोग प्रस्ताव
सर्वदलीय बैठक के बाद मंत्री रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि हस्ताक्षर की प्रक्रिया चल रही है। सांसदों के हस्ताक्षरों की संख्या 100 से ज्यादा हो चुकी है। मीडिया ने जब कैबिनेट मंत्री से पूछा कि संसद में यह प्रस्ताव कब पेश किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि यह कार्य मंत्रणा समिति को तय करना है।
न्यायालिका में भ्रष्टाचार संवेदनशील मामला
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है। न्यायपालिका ही वह जगह है। जहां लोगों को न्याय मिलता है। अगर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार होगा तो यह सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इसलिए यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी सभी पार्टियों के सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
15 करोड़ रुपए कैश बरामदगी का दावा
बता दें कि, नई दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के घर पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। घरवालों ने अग्निकांड की सूचना दमकल विभाग को दी। दमकल विभाग के टीम ने आग बुझाई। इस दौरान उन्हें जले हुए नोट भी मिले। उस वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ रुपए कैश की बरामदगी हुई।
इंटरजांच कमेटी ने वर्मा को हटाने की सिफारिश की
मामला सामने आने के बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया। रिपोर्ट के आधार पर CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की। इस दौरान जस्टिस वर्मा ने अपने बचाव में तर्क दिया कि उनके आवास के बाहरी हिस्से में नकदी बरामद होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि वे इसमें शामिल हैं। क्योंकि आंतरिक जांच समिति ने यह तय नहीं किया कि नकदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली।
कैसे लाया जाता है महाभियोग प्रस्ताव
किसी भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को पद से हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों (उच्च सदन यानी राज्यसभा, निम्न सदन यानी लोकसभा) में से किसी एक में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। प्रस्ताव के समर्थन में राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं, जबकि लोकसभा में 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। जब प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है। फिर लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति भारत के मुख्य न्यायाधीश से एक जांच समिति की गठन का अनुरोध करते हैं। उसके बाद तीन सदस्यीय जांच समिति गठित होती है। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, किसी एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और भारत सरकार की तरफ से नामित एक न्यायविद कार्रवाई शुरू करते हैं।