धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा, स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का जताया आभार
इस्तीफे में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान संसद के सभी माननीय सदस्यों से उन्हें जो स्नेह, विश्वास और सम्मान मिला, वह जीवनभर उनके हृदय में संचित रहेगा। उन्होंने लिखा कि इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अनुभव और दृष्टिकोण उनके लिए अनमोल हैं। भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद का साक्षी बनना उनके लिए संतोष का विषय रहा। धनखड़ ने लिखा, भारत के आर्थिक विकास और अभूतपूर्व परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष का विषय रहा है। मुझे भारत के उज्ज्वल भविष्य और वैश्विक नेतृत्व क्षमता पर पूर्ण विश्वास है।
जानिए कपिल सिब्बल ने क्या कहा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े पर, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, मैं उनके इस्तीफ़े के कारणों पर अटकलें नहीं लगाऊँगा। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य कारणों से ऐसा हुआ है। इसलिए मैं अटकलें नहीं लगाना चाहता। मैं कह सकता हूँ कि वे राज्यसभा के सबसे सक्रिय सभापतियों में से एक थे जिन्हें हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है। वे हमेशा दोनों पक्षों के सदस्यों को साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करते थे। आखिरकार, हम देश के लिए काम करते हैं, और उन्होंने हमेशा हमें ऐसा करने की सलाह दी। हमारी धारणाएँ अलग-अलग हैं, इसलिए कभी-कभी उनकी सलाह का पालन नहीं किया जाता था, जिसके कारण स्पष्ट थे। लेकिन जो भी हो, उनका दिल बहुत कोमल था। एक गर्म, सुनहरा दिल, एक साफ़ दिमाग और वे दोस्तों के दोस्त थे, और मुझे खेद है कि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया।
सिर्फ़ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया: कांग्रेस सांसद इमरान मसूद
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, वे पूरे दिन संसद भवन में थे। सिर्फ़ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा? हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी दें। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। द रीज़न।
6 अगस्त 2022 को ली थी शपथ
धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में लगातार संसदीय मर्यादाओं और लोकतांत्रिक संवाद को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। इस्तीफे से ठीक पहले मानसून सत्र के पहले दिन (21 जुलाई) को राज्यसभा की बैठक में उन्होंने कहा था कि राजनीति का सार टकराव नहीं, संवाद है। भले ही अलग-अलग राजनीतिक दल अलग रास्तों से चलते हों, लेकिन सभी का लक्ष्य देशहित ही होता है। भारत में कोई भी राष्ट्र के हितों का विरोध नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा था कि एक समृद्ध लोकतंत्र निरंतर टकराव की स्थिति में नहीं टिक सकता। संसद में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखना देशहित में आवश्यक है।
स्वास्थ्य कारणों को बताया प्रमुख वजह
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से धनखड़ की तबीयत अस्थिर थी और डॉक्टरों ने उन्हें आराम और सक्रिय राजनीति से विराम लेने की सलाह दी थी। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पद छोड़ने का निर्णय लिया। हालांकि, इस्तीफे की खबर से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। आगामी दिनों में नए उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया पर भी चर्चा शुरू होने की संभावना है।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन में रहा सक्रिय योगदान
धनखड़ का सार्वजनिक जीवन कृषक हित, सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहने के लिए जाना जाता रहा है। उनके इस्तीफे के साथ ही एक ऐसा अध्याय समाप्त हुआ, जिसमें उन्होंने न केवल संसद में बल्कि देशभर में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देने का प्रयास किया। धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में भारत के उज्ज्वल भविष्य पर अटूट विश्वास जताते हुए अपने कार्यकाल को एक महत्वपूर्ण सीख और सेवा का अवसर बताया। उनके इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया है और संसद में आगामी सत्रों में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।