scriptPakistan News: मारा गया भारत का सबसे बड़ा दुश्मन ‘अबु’, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का था करीबी | India's biggest enemy 'Abu' killed, was close to Mumbai attack mastermind Hafiz Saeed | Patrika News
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Pakistan News: मारा गया भारत का सबसे बड़ा दुश्मन ‘अबु’, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का था करीबी

Pakistan News: गोलीबारी का शिकार था भारत का नंबर-1 दुश्मन, लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकी अबु कताल सिंधी।

भारतMar 16, 2025 / 10:58 am

Anish Shekhar

Pakistan News: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की सर्द रात में, झेलम की गलियों में एक अनजानी हलचल थी। शनिवार की रात, करीब आठ बजे, जब आम लोग अपने घरों में गर्माहट की तलाश में थे, तभी अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट ने सन्नाटे को चीर दिया। यह कोई मामूली घटना नहीं थी। इस गोलीबारी का शिकार था भारत का नंबर-1 दुश्मन, लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकी अबु कताल सिंधी। अज्ञात हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, और देखते ही देखते उसकी सांसें थम गईं। एक ऐसा आतंकी, जिसके नाम से भारत की सुरक्षा एजेंसियां सालों से परेशान थीं, जिसके हाथ अनगिनत बेगुनाहों के खून से रंगे थे, आखिरकार मौत की नींद सो गया।

आतंक का दूसरा नाम: अबु कताल

अबु कताल कोई साधारण आतंकी नहीं था। वह मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का दाहिना हाथ था। हाफिज ने उसे लश्कर-ए-तैयबा का चीफ ऑपरेशनल कमांडर बनाया था, और उसकी हर साजिश को हकीकत में बदलने की जिम्मेदारी अबु के कंधों पर थी। पीओके के झेलम में बैठकर वह जम्मू-कश्मीर में आतंक की आग भड़काता था। उसकी एक आवाज पर आतंकी संगठन के गुर्गे भारत की शांत वादियों को खून से लाल करने निकल पड़ते थे। रियासी हो या राजौरी, हर बड़े हमले के पीछे उसका दिमाग काम करता था।
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9 जून की वह काली रात अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है, जब रियासी के शिव-खोड़ी मंदिर से लौट रही तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकियों ने हमला बोला था। गोलियों की बौछार और चीख-पुकार के बीच कई मासूम जिंदगियां छिन गई थीं। इस हमले का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, अबु कताल ही था। वह सिर्फ हमले की साजिश नहीं रचता था, बल्कि आतंकियों को हथियार, भोजन और आश्रय जैसी हर मदद मुहैया करवाता था। उसकी शातिराना चालों ने उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शीर्ष पर ला खड़ा किया था।

राजौरी की दर्दनाक यादें

साल 2023 की शुरुआत भी अबु कताल के आतंक की गवाह बनी थी। 1 जनवरी को राजौरी के ढांगरी गांव में आतंकियों ने मासूम नागरिकों को निशाना बनाया। घरों में सोते हुए लोगों पर गोलियां बरसाई गईं, और अगले दिन एक आईईडी विस्फोट ने और तबाही मचाई। सात लोग मारे गए, कई घायल हुए। इस हमले की साजिश के तार भी अबु कताल से जुड़े थे। एनआईए की चार्जशीट में उसका नाम साफ तौर पर दर्ज था। जांच में पता चला कि अबु ने आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था। तीन महीने तक उसने अपने गुर्गों को हर तरह की मदद पहुंचाई, ताकि वे सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों पर हमले कर सकें। चार्जशीट में लश्कर के तीन बड़े हैंडलर्स का जिक्र था—सैफुल्ला, मोहम्मद कासिम और अबु कताल—जिन्होंने मिलकर जम्मू-कश्मीर में आतंक का जाल बिछाया था।

हाफिज का भरोसेमंद सिपहसालार

अबु कताल और हाफिज सईद का रिश्ता सिर्फ आतंकी संगठन तक सीमित नहीं था। वह हाफिज का बेहद करीबी था, जिसे हर बड़ी साजिश का जिम्मा सौंपा जाता था। 26/11 के मुंबई हमले ने भारत को हिलाकर रख दिया था, और उस हमले की सफलता के बाद हाफिज ने अबु को अपने सबसे भरोसेमंद सिपहसालार के रूप में चुना। कश्मीर में आतंक फैलाने की हर योजना में अबु की अहम भूमिका होती थी। वह न सिर्फ हमलों की साजिश रचता था, बल्कि नए आतंकियों की भर्ती और उनकी ट्रेनिंग का भी इंतजाम करता था। उसकी शातिर चालों ने उसे सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बना दिया था।

आखिरी सांस और अनसुलझा रहस्य

शनिवार की उस रात जब अबु कताल अपनी गाड़ी में सवार था, शायद उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह उसकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। अज्ञात हमलावरों ने उस पर गोलियां बरसाईं, और कुछ ही पलों में आतंक का यह सरगना धराशायी हो गया। लेकिन सवाल यह है कि उसे मारने वाले ये हमलावर कौन थे? क्या यह किसी पुरानी दुश्मनी का नतीजा था, या फिर कोई बड़ा खेल खेला जा रहा था? उसकी मौत की खबर ने जहां भारत में राहत की सांस पैदा की, वहीं कई सवाल भी छोड़ दिए।
अबु कताल की मौत के साथ ही एक खतरनाक आतंकी का अंत हो गया, लेकिन क्या यह आतंक के खिलाफ जंग की जीत है, या फिर सिर्फ एक अध्याय का अंत? हाफिज सईद अभी भी जिंदा है, और उसका आतंकी नेटवर्क फैला हुआ है। अबु की मौत से लश्कर को झटका जरूर लगा होगा, लेकिन क्या यह आतंक की जड़ को खत्म करने के लिए काफी है? यह सवाल अभी अनसुलझा है, और वक्त ही इसका जवाब देगा।
फिलहाल, भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस खबर को एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही हैं। अबु कताल जैसा दुश्मन, जिसने न जाने कितने परिवारों को तबाह किया, आखिरकार मारा गया। लेकिन इस कहानी का अंत अभी बाकी है, क्योंकि आतंक का साया अभी पूरी तरह मिटा नहीं है।

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