![Scientist Dev Aristotle Panchariya on the occasion of “International Conference on Emerging Trends in Mathematical Sciences and Computing](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2025/02/image_366680.png?w=640)
गणित एक खोज है या मानव के दिमाग की पहली उपज ?
देव अरस्तु ने अपने “साइंस दैट रेसल्स विद गॉड : इज मैथमेटिक्स इनवेंटेड ऑर डिस्कवर्ड ( Science That Wrestles with God: Is Mathematics Invented or Discovered)” यानी “वो विज्ञान जो ईश्वर से कुश्ती लड़ता है” विषयक की नोट लेक्चर (Keynote Planery Session) में विज्ञान को ईश्वर (God) के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कई रूढ़िवादी अवधारणाओं को निर्मूल बताया। साथ ही गणित (mathematics) और विज्ञान ने दुनिया को अब तक कैसे बदला और आगे क्या परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे मुद्दों पर रोशनी डाली। देव अरस्तु ने गणित एक खोज है या मानव के दिमाग की पहली उपज ? ऐसे वैज्ञानिक और दार्शनिक विषयों पर गहरा चिंतन प्रस्तुत किया। उनके इस लेक्चर ने कई बड़े सवाल खड़े किए, जिसका न सिर्फ विज्ञान के दर्शन और प्रकति पर बल्कि अतिरिक्त दुनिया पर भी गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है।कॉन्फ़्रेंस के इतिहास के अब तक के सबसे युवा स्पीकर और अवार्डी
उल्लेखनीय है कि यह कॉन्फ़्रेंस मैथमेटिक्स और साइंस के क्षेत्र की सबसे प्रतिष्ठित कॉन्फ़्रेंस मानी जाती है, जिसमें नोबल पुरस्कार विजेता भी लेक्चर दे चुके हैं। देव अरस्तु कॉन्फ़्रेंस के इतिहास के अब तक के सबसे युवा स्पीकर और अवार्डी (Laureate) रहे। वे अक्सर अपने व्याख्यानों और बौद्धिक क्षेत्रों में अपने रिसर्च को लेकर चर्चा में रहते हैं, जिन्हें अगला अल्बर्ट आइंस्टीन माना जाता है। उनकी किताब “आइंस्टाइन एंड द इवोलुशन ऑफ़ क्वांटम फिजिक्स : फ्रॉम ए लाइट बीम टू डीप कॉसमॉस” एक ग्लोबल बेस्ट-सेलर किताब है। विज्ञान के अलावा वे एक व्यापक ग्लोबल इंटेलेक्चुअल (Global Intellectual) के रूप में जाने जाते हैं।अंतराष्ट्रीय विज्ञान कॉन्फ्रेंस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कॉन्फ्रेंस (International Science Conference) का आयोजन विश्वभर के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, और अकादमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच होता है, जहां विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही प्रगति और नवाचारों पर चर्चा होती है। इस प्रकार के कॉन्फ्रेंस में नए विचारों, अनुसंधानों और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को साझा करने का अवसर मिलता है।अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन की अवधारणा पहले 19वीं शताब्दी के मध्य में पाई जाती है, जब वैज्ञानिकों को एक दूसरे के साथ विचार साझा करने की आवश्यकता महसूस हुई। सबसे पहला अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन 1831 में हुआ था, जब विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने का विचार पनपा। बीसवीं शताब्दी में विज्ञान के क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ, और इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन का महत्व भी बढ़ा। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने अपने विचारों और शोध को साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करना शुरू किया। प्रमुख संस्थाएं जैसे आईसीएसयू (International Council for Science), यूनिसेफ और नासा ने इन कॉन्फ्रेंसों में सहयोग किया है।