न्याय में देरी! 70 सालों में पक्षकार-गवाहों तक की हो गई मौतें, लेकिन अब तक नहीं आ सके हजारों फैसले
Pending Court Cases: सबसे पुराने लंबित मामलों को लेकर पश्चिम बंगाल की हालत सबसे ज्यादा खराब है जहां 438 मुकदमे 50 साल से ज्यादा पुराने हैं। पढ़ें डॉ. मीना कुमारी की स्पेशल स्टोरी..
प्रसिद्ध उक्ति है कि देरी से न्याय, न्याय से इनकार करना है लेकिन हकीकत यह है कि देश में 1353 मुकदमे ऐसे हैं, जिनमें पचास साल से ज्यादा समय से न्याय मिलने का इंतजार हो रहा है। पश्चिम बंगाल में संपत्ति बंटवारे का एक केस 73 साल से लंबित है। निचली अदालतों से लेकर बड़ी अदालत तक चल रहे इन पुराने मुकदमों में तारीख पर तारीख पड़ती है लेकिन फैसले की घड़ी नहीं आती। ऐसे अनेक मामलों में पक्षकार और गवाहों की मौत हो चुकी है।
कई सिविल मुकदमों को दूसरी या तीसरी पीढ़ी आगे बढ़ा रही है। कुछ आपराधिक मामले ऐसे भी जिनमें 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान था, मगर वे केस 6 दशक से भी अधिक समय से लंबित हैं। मुकदमों के बारे ऑनलाइन रिकॉर्ड संधारित करने वाली नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) से मिली जानकारी के अनुसार सबसे पुराने लंबित मामलों को लेकर पश्चिम बंगाल की हालत सबसे ज्यादा खराब है जहां 438 मुकदमे 50 साल से ज्यादा पुराने हैं। राजस्थान में 12 और मध्यप्रदेश में 3 मुकदमे आधी सदी से लंबित हैं।
पांच सबसे पुराने सिविल केस
1.जबेंद्र नारायण चौधरी बनाम आशुतोष चौधरी- यह देश का सबसे पुराना सिविल केस है। संपत्ति बंटवारे का यह केस 4 अप्रेल 1952 को दायर किया था। इसमें आखिरी सुनवाई मार्च 2025 में मालदा के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के समक्ष हुई।
2.लीला दास बनाम फटिक चंद्र घोषाल – यह टाइटल सूट मई 1954 में दायर किया गया था। मामले में वादी और परिवादी दोनों ही मर चुके हैं। दक्षिण 24 परगना अलीपुर के सिविल जज की अदालत में उनके कानूनी वारिस केस लड़ रहे हैं।
3.बीबी समुदानिशां बनाम मोहाफिज हुसैन- संपत्ति बंटवारे का यह मुकदमा बहरामपुर में अप्रेल 1956 को दायर किया गया था जिसकी पहली सुनवाई ही जनवरी 2014 में हुई। अगली सुनवाई 19 अप्रेल 2025 को होनी है। इस केस में भी मूल वादी-परिवादी की मौत हो चुकी है।
4.विनय भूषण बिसवास बनाम सुबीर कुमार – संपत्ति विवाद का यह मुकदमा सितंबर 1956 में को उत्तरी 24 परगना के बोनगांव में दायर किया गया था। 69 साल पुराने इस केस की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 का होनी है।
5.प्रफुल्ल कुमार साहा बनाम नीपू कुमार – यह मुकदमा जनवरी 1955 में दाखिल हुआ जिसमें मूल वादी व परिवादी की मौत हो चुकी है। उनके कानूनी वंशज केस लड़ रहे हैं। दक्षिण 24 परगना के सिविल जज की अदालत में 17 मई अगली सुनवाई तय है।
देश के 5 सबसे पुराने आपराधिक केस
1.महाराष्ट्र राज्य बनाम गुलाब – यह देश का सबसे पुराना लंबित आपराधिक केस है जो अप्रेल 1959 से अमरावती की सत्र अदालत में लंबित है। सरकारी कामकाज में बाधा के इस मामले में 2 साल से आठ साल तक की सजा का प्रावधान है। अभी एक ही गवाह के बयान हुए हैं।
2.महाराष्ट्र राज्य बनाम कांतिलाल – चोरी के प्रयास का यह मामला दिसंबर 1959 से जालना की सीजेएम कोर्ट में लंबित है। 66 साल पुराने इस मामले में गवाह और पीड़ित की मौत हो चुकी है।
3.महाराष्ट्र राज्य बनाम रामा नारायण)- अमानत में खयानत का यह केस अगस्त 1960 से लंबित है। इस मामले में 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। परिवादी और गवाहों की मौत हो चुकी है।
4.महाराष्ट्र राज्य बनाम बाबू अहमद – चोरी का यह केस जालना की अदालत में फरवरी 1961 से लंबित है। आखिरी सुनवाई दिसंबर 2024 में हुई थी। 5.महाराष्ट्र राज्य बनाम सलाम सुलेमान – फर्जी पासपोर्ट और नागरिक कानून का यह मुकदमा नांदेड़ की अदालत में मार्च 1962 से चल रहा है। इस केस में 2 से 8 साल तक की सजा हो सकती है लेकिन मुकदमा 63 साल से चल रहा है।अगली सुनवाई 13 मई 2025 को तय है।
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