जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस हमले, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, के जवाब में भारत ने सख्त कूटनीतिक कदम उठाए। इनमें से एक था पाकिस्तानी नागरिकों के सभी अल्पकालिक वीजा रद्द करना और उन्हें तत्काल देश छोड़ने का आदेश देना। इस फैसले ने कई जिंदगियों को प्रभावित किया, लेकिन एक 69 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल वहीद की कहानी ने सबका ध्यान खींचा। 17 साल तक भारत में रहने के बाद, डिपोर्टेशन की प्रक्रिया के दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मृत्यु हो गई।
अब्दुल वहीद, जो पिछले 17 सालों से भारत में रह रहे थे, को जम्मू-कश्मीर पुलिस श्रीनगर से अटारी-वाघा बॉर्डर पर डिपोर्टेशन के लिए लाई थी। अधिकारियों के अनुसार, उनके पास एक्सपायर्ड वीजा पाया गया था। बुधवार को, अटारी में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) के पास खड़ी बस में उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। बताया जाता है कि वह लकवे से भी पीड़ित थे। इससे पहले कि उन्हें चिकित्सा सहायता दी जा सकती, हार्ट अटैक ने उनकी जिंदगी छीन ली। उनका शव अमृतसर के सिविल अस्पताल ले जाया गया।
इस बीच, अटारी-वाघा बॉर्डर पर भावुक दृश्य देखने को मिले। केंद्र सरकार के आदेश के बाद, 27 अप्रैल तक अल्पकालिक वीजा धारकों और 29 अप्रैल तक मेडिकल वीजा धारकों को भारत छोड़ना था। इस दौरान, 224 भारतीय और पाकिस्तानी नागरिक, जिनमें नो ऑब्लिगेशन टू रिटर्न टू इंडिया (NORI) वीजा धारक शामिल थे, अटारी सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश कर गए, जबकि 139 पाकिस्तानी नागरिक वापस अपने देश लौट गए। इनमें से कई लोग रिश्तेदारों से मिलने या शादी जैसे अवसरों के लिए भारत आए थे, लेकिन समय से पहले उन्हें वापस लौटना पड़ा।
पाकिस्तान पर भारत का कड़ा रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने कई बड़े फैसले लिए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, इस्लामाबाद के साथ राजनयिक संबंधों को कम करना, और पाकिस्तानी नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने का आदेश देना शामिल है। इन कदमों ने अटारी बॉर्डर पर हलचल बढ़ा दी, जहां परिवारों का बिछड़ना और अनिश्चितता का माहौल साफ देखा गया। कई पाकिस्तानी नागरिक, जो शादी या रिश्तेदारों से मिलने आए थे, समय सीमा से पहले लौटने को मजबूर हुए।
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