नहीं मिला कोई ठोस सबूत
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ED का समन बिना किसी ठोस सबूत के जारी किया गया था, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। इसके अलावा, कोर्ट ने शहरी विकास मंत्री बी.एस. सुरेश को जारी ED के समन को भी रद्द कर दिया, क्योंकि वे 2023 में पद ग्रहण करने के बाद इस मामले से जुड़े नहीं थे।
कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने दी क्लीन चिट
इसके साथ ही, फरवरी 2025 में कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया और उनकी पत्नी को इस मामले में “सबूतों के अभाव” के आधार पर क्लीन चिट दे दी थी। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने भी कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ED की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे पार्वती को और मजबूत राहत मिली।
क्या है आरोप?
MUDA घोटाला कथित तौर पर मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा भूखंडों के अवैध आवंटन से संबंधित है। आरोप था कि सिद्धारमैया की पत्नी को मुआवजे के रूप में मायसुरु के एक पॉश इलाके में 14 भूखंड आवंटित किए गए, जिनकी कीमत उनकी अधिग्रहित जमीन से कहीं अधिक थी। विपक्षी दलों, विशेष रूप से बीजेपी और जेडी(एस), ने इस मामले को लेकर सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की थी और CBI जांच की मांग उठाई थी।
14 भूखंड वापस करने की पेशकश
विवाद बढ़ने पर पार्वती ने पिछले साल अक्टूबर 2024 में MUDA को 14 भूखंड वापस करने की पेशकश की थी, जिसे MUDA ने स्वीकार कर लिया था। उनके वकील ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि भूखंड वापस करने के बाद इस मामले में अपराध की आय का कोई सवाल ही नहीं उठता।
सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि विपक्ष उनको निशाना बना रहा है। उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही और कांग्रेस पार्टी के समर्थन का हवाला दिया। हाई कोर्ट का यह फैसला सिद्धारमैया और उनके परिवार के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है।