अटकलों को बाजार गर्म
हालांकि, डीके शिवकुमार ने इस ‘व्यस्तता’ का कारण साफ नहीं किया है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम का सीधा संबंध कर्नाटक कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी की खबरों से हो सकता है।
कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग
बता दें कि पिछले कुछ समय से कर्नाटक कांग्रेस में गुटबाजी और मुख्यमंत्री बदलने की मांग को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन ने हाल ही में कहा था कि वे हाईकमान से सीएम परिवर्तन का मुद्दा उठाएंगे। उन्होंने साफ कहा था, हम डीके शिवकुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और उन्हें बनाकर रहेंगे। हुसैन ने कहा कि डीके शिवकुमार ने पार्टी के लिए जितनी कुर्बानियां दी हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि नेतृत्व में बदलाव होना जरूरी है, ताकि कांग्रेस को मजबूत किया जा सके।
शिवकुमार ने गुटबाजी से किया इनकार
हालांकि, इससे पहले डीके शिवकुमार ने गुटबाजी की खबरों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है और किसी विधायक से सिफारिश की जरूरत नहीं है। शिवकुमार ने यह भी स्पष्ट किया था कि अगर कोई नेता पार्टी के अनुशासन के खिलाफ बयान देता है तो उस पर कार्रवाई होगी। उन्होंने राज्य नेतृत्व में किसी भी बदलाव से इनकार करते हुए कहा था, अगर कोई समस्या होती है तो हम मिल बैठकर उसका समाधान निकाल लेंगे।
क्या बोले सियासी जानकार
डीके शिवकुमार के तीन दिन तक मुलाकात बंद करने के फैसले को लेकर कर्नाटक कांग्रेस में संभावित नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा और तेज हो गई है। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि कांग्रेस हाईकमान आने वाले दिनों में कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर बड़ा निर्णय ले सकता है। वर्तमान में, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच तालमेल को लेकर सवाल उठते रहे हैं। देखना होगा कि शिवकुमार की इस ‘ब्रेक रणनीति’ के बाद कर्नाटक कांग्रेस में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलता है या नहीं।