तकनीकी विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी शुरू
चुनाव आयोग और यूआईडीएआई के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही इस पर काम शुरू करने वाले है। इस पूरी प्रक्रिया को साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए किया जाएगा। माना जा रहा है कि बहुत जल्द इस पर काम शुरू हो जाएगा।
कानून के तहत होगी प्रक्रिया
निर्वाचन अधिकारी ने एक बयान में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मताधिकार केवल भारत के नागरिक को ही दिया जा सकता है, जबकि आधार केवल व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। बयान में कहा गया कि इसलिए, यह फैसला किया गया है कि मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) को आधार से जोड़ने का काम केवल संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और सुप्रीम कोर्ट के फैसले (2023) के अनुरूप किया जाएगा।
राजनीतिक पार्टियों से सुझाव मांगे
चुनाव आयोग आगामी चुनावों को ज्यादा पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए कई नए कदम उठाए जा रहे है। आयोग ने पहली बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर की सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों से 30 अप्रैल 2025 तक सुझाव मांगे हैं। सरकार ने संसद को दी ये जानकारी
यह कानून मतदाता सूचियों को स्वैच्छिक रूप से आधार डाटाबेस से जोड़ने की अनुमति देता है। इसे बारे में सरकार ने संसद को बताया है कि आधार-वोटर कार्ड को जोड़ने का काम प्रक्रिया संचालित है। प्रस्तावित लिंकिंग के लिए कोई लक्ष्य या समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है। सरकार ने यह भी कहा है कि अगर कोई अपने आधार को मतदाता सूची से नहीं जोड़ना चाहते है तो उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।