भारत सरकार को इस बारे में बोलने की आवश्यकता नहीं
रिजिजू ने कहा, मैं दलाई लामा का एक भक्त हूं। दुनिया में जो कोई भी दलाई लामा को मानता है, वह चाहता है कि उनका उत्तराधिकारी दलाई लामा खुद चुनें। उन्होंने इस मामले पर स्पष्टता बनाए रखने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा हमें दलाई लामा के मुद्दे पर भ्रमित होने की कोई ज़रूरत नहीं है। जो लोग बौद्ध धर्म का पालन करते है और उसके अनुयायी है उनका मानना है कि दलाई लामा को अपना उत्तराधिकारी खुद चुनना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, हमें या भारत सरकार को इस बारे में कुछ भी बोलने की आवश्यकता नहीं है।
जल्द दलाई लामा से मिलेंगे रिजिजू
आपको बता दें कि, 6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के मौके पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और राजीव रंजन भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर धर्मशाला जाएंगे और उनसे मुलाकात करेंगे। अन्य कई बड़े लोगों समेत हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेयर भी दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। वह कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला पहुंच गए हैं। दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता माने जाते हैं। वर्तमान में मौजूद दलाई लामा इस परंपरा के 14वें दलाई लामा हैं।
दलाई लामा ने बयान के जरिए चीन पर किया था वार
2 जुलाई को तिब्बती आध्यात्मिक नेता, दलाई लामा ने बयान देते हुए कहा था कि, उनके द्वारा स्थापित गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही भविष्य में बनने वाले दलाई लामा का चुनाव करेगा। ट्रस्ट के अलावा किसी को इस मामले में फैसला लेने की अनुमति नहीं होगी और चीन इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभाएगा। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट पूर्व निर्धारित परंपरा के अनुसार दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया पूरी करेगा।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी रच रही धार्मिक खेल
1951 में तिब्बत पर कब्ज़ा करने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने हाल के वर्षों में तिब्बती बौद्ध धर्म को प्रभावित करने और तिब्बत की आबादी को जबरन चीनी धर्म में मिलाने के अपने लंबे समय से चले आ रहे प्रयासों को तेज कर दिया है। यह जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को नियंत्रित करने के व्यापक प्रयास कर रही है।
1959 में भारत आए थे दलाई लामा
1959 में तिब्बत में चीन के नियंत्रण के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह हुआ था, लेकिन वह असफल रहा जिसके बाद दलाई लामा तिब्बत छोड़कर भारत आ गए थे। इसके बाद उन्होंने उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपनी निर्वासित सरकार (सरकार-इन-एग्ज़ाइल) की स्थापना की थी। 1989 में, दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।