चुनावी साल में कब-कब बिहार दौरे पर आए राहुल गांधी
Rahul Gandhi Bihar 5th Visit: राहुल गांधी साल 2025 में पांच बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। 18 जनवरी को पटना के बापू सभागार में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए बिहार आए थे। दूसरी बार वह पांच फरवरी को बिहार आए। इस मौके पर उन्होंने स्वर्गीय जगलाल चौधरी के जयंती समारोह में शिकरत की। तीसरी बार 7 अप्रैल को वह संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल में पहुंचे थे। चौथी बार 15 मई को ‘शिक्षा न्याय यात्रा’ में शामिल होने और ज्योति राव फुले और सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर आधारित ‘फुले’ फिल्म देखने के लिए पटना आए। आज पांचवी बार नालंदा और गया में लोगों से मिले।
दलित और ओबीसी को साध रहे हैं राहुल
Congress kee eye on Dalit Obc vote: बिहार में कांग्रेस की नजर दलित, अतिपिछड़े और मुस्लिम वोटबैंक पर है। राहुल इसी टारगेट को हासिल करने की कवायद में जुटे हैं। पहले भूमिहार जाति से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया। फिर दलित बैकग्राउंड से आने वाले रविदास समुदाय के राजेश राम को प्रदेश की कमान सौंपी गई। राजेश राम बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू के साथ मिलकर जमीन पर कांग्रेस की पैठ मजबतू करने में जुट गए हैं।
नालांदा में जदयू के कोर वोट बैंक को लुभाएंगे राहुल
राहुल गांधी ने आज नालंदा में अतिपिछड़े वर्ग के लोगों और छात्रों के साथ संवाद किया। अतिपिछड़ा वर्ग जदयू का कोर वोट बैंक माना जाता है। नीतीश अतिपिछड़ा और महादलित वर्ग को साधते हुए बीते दो दशक से सत्ता पर काबिज हैं। राहुल इस पर चोट करने के लिए आज सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा पहुंचे।
दलित 17 फीसदी, अतिपिछड़ा की आबादी 36%
Bihar Cast Census 2023: साल 2023 में हुए बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में दलित आबादी 17 फीसदी है जबकि अतिपिछड़ो की संख्या 36 फीसदी है। नीतीश उम्र की ढलान पर हैं। ऐसे में कांग्रेस इसे सुनहरा मौका मानकर दलित और अतिपछड़ों को अपने पाले में करने में जुटी हुई है।
OBC हमें छोड़कर चले गए
गुजरात के अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी राहुल ने पार्टी का ध्यान OBC वर्ग की तरफ दिलाया था। तब उन्होंने कहा था कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और इस बीच OBC हमारे साथ से दूर हो गया।
कन्हैया को युवा चेहरा बनाने की कोशिश!
बिहार में कांग्रेस कन्हैया कुमार को युवा चेहरा बनाने कोशिश करती हुई भी दिखी। बेगूसराय में कन्हैया की नौकरी दो रैली और शिक्षा पर केंद्रित अभियान मेें राहुल गांधी भी शामिल होने के लिए आए थे, लेकिन इस रैली ने RJD के साथ तनाव को भी उजागर किया था। सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजद नेता तेजस्वी यादव कन्हैया के बिहार कांग्रेस में एक्टिव रोल से डिसकंफर्ट फील करते हैं।
कांग्रेस अकेले लड़े चुनाव : पप्पू यादव
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस को अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की सलाह दी है। पप्पू ने कहा कि बिहार की जनता कांग्रेस को एक विकल्प के तौर पर देख रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो भी निर्णय लेगी। वह उनके साथ खड़े होंगे। अगर बिहार की जनता को बचाना है तो कांग्रेस को आगे आना होगा। राहुल गांधी EBC, OBC, SC, ST, संविधान और गरीबों की बात कर रहे हैं। उनकी ओर लोग उम्मीद से देख रहे हैं। पप्पू यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (JAP) का कांग्रेस में विलय किया था, लेकिन पूर्णिया संसदीय सीट से कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव में उतर गए। पूर्णिया से दो बार के सांसद संतोष कुशवाहा को शिकस्त दी। पप्पू के कारण राजद की बीमा भारती तीसरे पायदान पर पहुंच गई।
मंडल की आंच ने किया कांग्रेस को बिहार की सत्ता से दूर
आजादी के बाद से लेकर साल 1990 तक बिहार में कांग्रेस ने लंबे समय तक राज किया। 1952 से 2025 तक बिहार में कुल 23 मुख्यमंत्री बने। जिनमें 18 कांग्रेस के रहे। मंडल आयोग की आंच ने बिहार में कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया। साल 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के नेतृत्व में उतरी। 324 सीटों वाली बिहार विधानसभा में कांग्रेस के खाते में महज 71 सीटें जीत पायी। उस चुनाव में कांग्रेस ऐसा हारी कि आज तक दोबारा सत्ता में नहीं आ सकी। कांग्रेस बीते तीन दशक से बिहार में सत्ता का वनवास झेल रही है।