देश में स्टारलिंक सैटेलाइट फोन सेवा जल्द शुरू होने के आसार
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने शहरी क्षेत्रों में सैटेलाइट कम्युनिकेशन यूजर्स के लिए 500 रुपए मासिक शुल्क की सिफारिश की है। इससे सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्पेक्ट्रम पारंपरिक टेरेस्ट्रियल सेवाओं के मुकाबले महंगा होगा। विश्लेषकों का मानना है कि ज्यादा कीमत होने के बावजूद स्टारलिंक जैसी मजबूत फंडिंग वाली कंपनियों के लिए भारत के शहरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल नहीं होगा। सीमित सैटेलाइट क्षमता के कारण भारत में स्टारलिंक के सब्सक्राइबर बेस को तेजी से बढ़ाना जरूर मुश्किल होगा।
40 लाख ग्लोबल यूजर्स को सेवा दे रहे हैं स्टारलिंक के 7,000 सैटेलाइट्स
एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल स्टारलिंक के 7,000 सैटेलाइट्स करीब 40 लाख ग्लोबल यूजर्स को सेवा दे रहे हैं। अगर सैटेलाइट्स की संख्या 18,000 तक भी पहुंच जाए, तब भी 2030 तक भारत में सिर्फ 15 लाख ग्राहकों को ही सेवा दी जा सकेगी। इस रिसर्च में कहा गया कि सीमित क्षमता के कारण किफायती प्राइसिंग भी नए ग्राहकों को जोड़ने में ज्यादा प्रभावी नहीं होगी। लेवी व लाइसेंस के साथ सालाना फीस
ट्राई की सिफारिशों के तहत सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर 4 प्रतिशत लेवी और प्रति मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम पर करीब 3,500 रुपए की सालाना फीस देनी होगी। कमर्शियल सेवाएं देने पर 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस भी देनी होगी। इन प्रस्तावों को लागू करने से पहले सरकार की अंतिम मंजूरी जरूरी है।