उत्तर प्रदेश में बारिश बनी आफत
उत्तर प्रदेश में भी गुरुवार को मौसम ने विकराल रूप धारण कर लिया। आंधी-तूफान के साथ हुई मूसलाधार बारिश ने कई जिलों में तबाही मचाई। आकाशीय बिजली गिरने से 22 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों बीघा गेहूं की फसल बर्बाद हो गई। खेतों में तैयार खड़ी फसलें पानी में डूब गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। इस आपदा ने ग्रामीण इलाकों में जीवन को और भी मुश्किल बना दिया।
UP में मुआवजे का ऐलान, बिहार में मांग
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस त्रासदी पर शोक जताया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया और घायलों के इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था करने के निर्देश दिए। सीएम ने अधिकारियों को प्रभावित इलाकों का दौरा कर नुकसान का आकलन करने और राहत कार्यों को प्राथमिकता देने का आदेश दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्राकृतिक आपदा से हुई जनहानि पर गहरा दुख व्यक्त किया। सीएम ने प्रशासन को निर्देश दिए कि घायलों का समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाए और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज किए जाएं। तेजस्वी यादव ने X पर पोस्ट करते हुए कहा कि बिहार में आंधी, तूफान, बारिश, वज्रपात, वृक्ष व दीवार गिरने की विभिन्न घटनाओं में हुई 50 से अधिक दुखद मौतों से मर्माहत हूँ। सभी मृतकों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता हूँ। ईश्वर आपदा से प्रभावित परिवारों को दुःख की इस घड़ी में संबल प्रदान करें। बिहार सरकार से माँग है कि वह सभी पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करे। अचानक हुई तेज बारिश में किसानों की खेत खलिहानों में रखी गेहूँ की तैयार फसल भी बर्बाद हो गई। बिहार सरकार ऐसे सभी किसानों के नुकसान की भरपाई करते हुए उन्हें उचित मुआवजा दें।
प्रकृति के प्रकोप का कहर
इस आपदा ने एक बार फिर प्रकृति की अनिश्चितता को सामने ला दिया। बिहार और उत्तर प्रदेश में आंधी, बारिश और वज्रपात ने न केवल लोगों की जिंदगी छीनी, बल्कि उनके घरों, फसलों और आजीविका को भी तबाह कर दिया। नालंदा के मंदिर में पेड़ गिरने की घटना हो या जैतीपुर में दीवार ढहने का हादसा, इन त्रासदियों ने कई परिवारों को असहनीय दर्द दिया। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, इस आपदा ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमारी तैयारी पर्याप्त है?